Brain Health: एक अच्छी फूड हैबिट बॉडी के लिए ही नहीं, ब्रेन के लिए भी जरूरी होता है. शरीर चुस्त-दुरुस्त रहता है और दिमाग भी सभी टेंशन से फ्रूी, ऐसा कई रिसर्च दावा करते हैं. कुछ ऐसी स्टडीज भी हुई हैं जो बताती हैं कि ब्रेन हेल्थ के लिए कुछ चीजों को हमेशा के लिए बाय-बाय कह देना चाहिए. इन अलग-अलग अध्ययन के आधार पर आपको बताते हैं उन तीन चीजों या आदतों के बारे में जिन्हें अपनाया तो डिमेंशिया का खतरा टला रहेगा.
इन 3 चीजों से आपको खतरान्यूरोसाइंटिस्ट्स के मुताबिक बैड हेल्थ हैबिट्स कॉग्नेटिव फंक्शन पर नेगेटिव इफेक्ट पड़ता है और धीरे-धीरे डिमेंशिया का खतरा बढ़ने लगता है. तीन फूड आइटम्स या आदतों से तौबा कर लेनी चाहिए वो हैं- यूपीएफ यानी अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड, खाने की ओवर हीटिंग और स्वीटनर्स.
1. यूपीएफ के खतरेअल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड आइटम्स में चीनी, नमक, आर्टिफिशियल चीजें और अनसैचुरेटेड फैट्स की हाई क्वांटिटी होती है; और ये सुविधाजनक, पैकेज्ड आइटम्स ब्रेन सहित पूरे शरीर में सूजन पैदा करते हैं.
एक नई स्टडी से पता चलता है कि यूपीएफ के नतीजे खतरनाक हो सकते हैं. रिसर्च में यूपीएफ से शरीर पर पड़ने वाले नेगेटिव इंपैक्ट साबित हुआ है. जिसमें हार्ट डिजीज, कैंसर, मेटाबॉलिक सिंड्रोम, मोटापा, नॉन-अल्कोहलिक फैटी लीवर डिजीज, टाइप 2 डायबिटीज और यहां तक कि वक्त से पहले मौत का खतरा शामिल है. 2022 में न्यूरोलॉजी में छपी एक स्टडी के मुताबिक अगर आप रोजाना 10 फीसदी भी प्रोसेस्ड फूड आइटम्स का सेवन करते हैं तो डिमेंशिया का जोखिम 25 फीसदी बढ़ जाता है.
2. ओवर हीटिंग से भी नुकसानजब भोजन को ग्रिलिंग, फ्राइंग या ब्रॉइलिंग के जरिए हाई टेम्प्रेचर पर पकाया जाता है, तो ये एडवांस्ड ग्लाइकेशन एंड-प्रोडक्ट्स (एजीई) बनाता है और ये ब्रेन में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और सूजन को ट्रिगर करते हैं. इसका सीधा रिश्ता एमिलॉयड प्लेक से है – वही जमा प्रोटीन जो अल्जाइमर डिजीज में दिमाग में बनते हैं. तो राय यही है कि हाई हीट पर खाना पकाने से बचें और जितना हो सके स्टीम कर पकाएं.
3. स्वीटनर से रिस्कज्यादातर लोग आर्टिफिशियल स्वीटनर्स का यूज ये सोचकर करते हैं ताकि रिफाइंड शुगर को खाने से बच जाएंगे, लेकिन हाल के अध्ययनों से पता चलता है कि कुछ स्वीटनर आंत के बैक्टीरिया को ऐसे बदल सकते हैं जो सूजन को बढ़ावा दे सकता है, ये सूजन कॉग्नेटिव फंक्शन्स को प्रभावित कर सकती है और संभावित रूप से न्यूरोडीजेनेरेटिव डिसऑर्डर के जोखिम को बढ़ा सकती है.
कम कैलोरी वाले स्वीटनर ‘एस्पार्टेम’ को याददाश्त में खलल और सीखने की आदत कम करने के तौर पर देखा गया है, जबकि दूसरी स्टडीज से पता चला है कि आर्टिफिशियल स्वीटनर के लंबे समय तक इस्तेमाल करने से स्ट्रोक, दिल की बीमारियां और यहां तक कि वक्त से पहले मौत का जोखिम बढ़ सकता है.
(इनपुट-आईएएनएस)
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.