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Harbhajan Singh tells the better captain between MS Dhoni and Sourav Ganguly in DNA | धोनी या गांगुली में से कौन है बेस्ट कप्तान? हरभजन ने दिया चौंकाने वाला जवाब



नई दिल्ली: टीम इंडिया के पूर्व दिग्गज गेंदबाज हरभजन सिंह ने हाल ही में क्रिकेट के सभी फॉर्मेट से रिटायरमेंट की घोषणा कर दी. हरभजन ने सौरव गांगुली और महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में ही अपने करियर का ज्यादातर क्रिकेट खेला. इसी बीच Zee News के एडिटर इन चीफ सुधीर चौधरी के साथ एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में हरभजन सिंह ने बताया कि धोनी और गांगुली में से उन्हें ज्यादा बेहतर कप्तान कौन है.  
सुधीर चौधरी: आपको अपने लिए सबसे अच्छा कप्तान कौन लगा?
हरभजन सिंह: गांगुली, उन्होंने उस वक्त मुझे उठाया जब मैं टीम से बाहर था, मैंने अच्छा खेला और हैट्रिक लेने वाला खिलाड़ी बन गया, उसके बाद धोनी ने बहुत बढ़िया लीड किया, मैंने गांगुली के साथ काफी एन्जॉय किया, उन्होंने मुझे खेलने की पूरी आजादी दी, उसके बाद ही मैं बड़ा गेंदबाज बना.
सुधीर चौधरी: आप इतने Important मेंबर थे टीम के और आपका रिकॉर्ड इतना बेहतर था फिर भी आपको बीसीसीआई ने कैप्टन मैटीरियल नहीं माना? आपकी कप्तानी में मुंबई इंडियंस ने जीत भी हासिल की थी. 
हरभजन सिंह: मेरे पास पंजाब से बीसीसीआई में कोई था नहीं जो सपोर्ट कर सके, कप्तानी मिलती तो निश्चित तौर पर मैं बेहतर करता, मैंने हमेशा कप्तानों की मदद की है, सिर्फ और सिर्फ मेरे पास सपोर्ट करने वाले अधिकारी नहीं थे.
सुधीर चौधरी: क्या टीम इंडिया में Politics होती है? आप उसके शिकार बने?
हरभजन सिंह: मेरे साथ खराब तो हुआ, अब Politics है या नहीं ये तो नहीं पता, मैंने अपनी किताब में बेखौफ और निडर होकर लिखा है कि क्या कुछ हुआ मेरे साथ. क्रिकेटर होना कितना मुश्किल है, खास कर वो क्रिकेटर जिसकी कोई बैकिंग न हो, मेरी किताब से सब कुछ पता चलेगा.
सुधीर चौधरी: आपको हमेशा टीवी पर देखा है, आप अपने सारे इमोशंस मैदान पर कैमरे पर उतार देते थे, लेकिन आप अब शांत है, क्या ये बदलाव आपकी शख्सियत में आया है पिछले 5 सालों में?
हरभजन सिंह: उम्र के साथ बदलाव आता है. मैं शांत रहता हूं, अच्छे कोट पढ़ता हूं, जो चीजें पसंद नहीं आतीं उनसे खुद को दूर करता हूं, मैं उस खड्डे में नहीं कूदना चाहता जिसका मुझे बाद में अफसोस हो.
सुधीर चौधरी: स्ट्रेस पर पहले बात नहीं होती थी, क्या आप अपनी स्टोरी शेयर करना चाहेंगे? कभी आपका रोने का मन किया, कभी शीशा तोड़ने का मन किया? मेंटल हेल्थ पर बात करना चाहेंगे?
हरभजन सिंह: जीने का अपना-अपना तरीका होता है. कई लोग स्ट्रेस को डील नहीं कर पाते हैं, लेकिन उसके बारे में बताना चाहिए. मैं भी एक इंसान हूं, मेरे भी इमोशंस हैं, मेरे पीछे लोग पड़े रहे, मुझे नीचे खींचते रहे, मुझे भी रोना तो आता है, नींद नहीं आती, इमोशंस इधर-उधर होते हैं. ऐसी कई रातें गुजारी हैं जब नींद नहीं आई है, मैच का स्ट्रेस हो या फिर सेलेक्शन का हो. जब मैदान से बाहर कर दिया गया, 400 विकेट लेने वाले क्रिकेटर को बाहर कर दिया गया. वजह क्या थी, कोई बताएगा? वक्त के साथ डील करना आ जाता है, नानक साहब ने भी कहा था कि संसार में सभी दुखी हैं, अगर सुखी होना है तो अपने भीतर ही खुशी ढूंढनी होगी,  उन चीजों से कनेक्ट करो जिनसे आपको खुशी मिलती है. निगेटिव लोगों और विचारों से दूर रहो.
सुधीर चौधरी: आर अश्विन क्या आपसे अच्छे बॉलर थे?
हरभजन सिंह: वो बॉलर तो अच्छे हैं, उनका रिकॉर्ड अच्छा है, वो काबिल हैं, उन्होंने मैच जिताए हैं, भले ही उनमें से ज्यादातर मैच भारत में ही हुए. जब अश्विन को चुना गया था तो मैं तब तक 400 विकेट ले चुका था, ऐसा तो था नहीं कि तब तक मैं खराब हो गया था, और जब वो खेलने लगे तो मुझे इंतजार करना पड़ा, मुझे उसके बाद मौका ही नहीं मिला. चाहे मैं रणजी में अच्छा खेल कर ऊपर आता था फिर भी मुझे मौका नहीं मिलता था. मैं वनडे और टी-20 में बहुत अच्छा खेलता था, मेरा रिकॉर्ड देखेंगे तो हैरान रह जाएंगे कि मैं क्यों बाहर कर दिया गया. मुझे वनडे खेलने का मौका ही नहीं मिला, टी-20 में भी खिलाया नहीं गया. और जब मुझे एक बार घर भेज दिया उसके बाद किसी ने याद नहीं किया.
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