Health

Chronic kidney disease often goes undiagnosed Early detection can prevent severe outcomes | अक्सर छिपा रह जाता है किडनी रोग, पकड़ में नहीं आता! हालत बिगड़ने से पहले जानिए सबकुछ



Chronic kidney disease: अमेरिका में करीब 3.55 करोड़ लोगों को प्रभावित करने वाला दीर्घकालिक गुर्दा रोग यानी ‘क्रॉनिक किडनी डिजीज’ अकसर नजरों से छिपी रह जाती है. सिर्फ 50% लोगों में ही इस बीमारी का निदान हो पाता है. दीर्घकालिक गुर्दा रोग के परिणाम गंभीर होते हैं. जब शरीर का ये जरूरी अंग आपके रक्त से अपशिष्ट को छानने का अपना काम नहीं कर पाता तो रोगियों को गहन चिकित्सा सहायता की आवश्यकता होती है क्योंकि किडनी में खराबी आपके जीवन की गुणवत्ता को गंभीर रूप से कम कर सकती है.
समय पर जानकारी नहीं मिलती
नर्सिंग की सहायक प्रोफेसर व जनस्वास्थ्य की एक्सपर्ट एलेनोर रिवेरा ने बताया कि वो दीर्घकालिक गुर्दा को लेकर रोगियों में जागरूकता बढ़ाने के लिए रणनीतियों का अध्ययन कर रही हैं. रिवेरा ने बताया कि उनका रिसर्च बताता है कि इस रोग के प्रारंभिक चरण से जूझ रहे रोगियों को उनके चिकित्सक से समय पर जानकारी नहीं मिल पाती कि स्थिति को बिगड़ने से कैसे रोका जाए.
आपकी किडनी क्या करती हैं और जब ये काम करना बंद कर देती हैं तो क्या होता है?
अपने गुर्दों को स्वस्थ रखने के लिए यह जानना है जरूरी: आपके किडनी क्या करते हैं और जब ये काम करना बंद कर देते हैं तो क्या होता है?किडनी हमारे शरीर के लिए कई काम करते हैं लेकिन उनका सबसे महत्वपूर्ण काम शरीर से अपशिष्ट को छानकर पेशाब के रास्ते बाहर करना है.
जब आपके किडनी अच्छी तरह से काम कर रहे होते हैं, तो वे पेशाब के रास्ते शरीर में बनने वाले अपशिष्ट को बाहर करने का काम करते हैं. किडनी आपके रक्तचाप को स्थिर रखने, आपके ‘इलेक्ट्रोलाइट्स’ को संतुलित रखने और आपके शरीर में लाल रक्त कोशिका को बनाने की गति को तेज करने में भी मदद करते हैं.
हाई बीपी या सुगर वाले खास ध्यान दें
किडनी चौबीसों घंटे कड़ी मेहनत करते हैं लेकिन समय के साथ-साथ इन्हें पानी की गंभीर रूप से कमी या वर्षों तक उच्च रक्तचाप या उच्च रक्त शर्करा (हाई ब्लड शुगर) से नुकसान हो सकता है. अगर ये नुकसान लगातार होता रहता है को किडनी के कार्य में रुकावट आनी शुरू हो जाती है और अंततः किडनी पूरी तरह से खराब हो सकते हैं.
जब किडनी काम करना बंद कर देते हैं तो पेशाब बनना बंद हो जाता है, जिससे शरीर तरल पदार्थों को बाहर निकालने में असमर्थ हो जाता है. इससे पोटेशियम और फॉस्फेट जैसे ‘इलेक्ट्रोलाइट्स’ का स्तर खतरनाक रूप से बढ़ने लगता है.
‘डायलिसिस’ या किडनी ट्रांसप्लांट
इस स्थिति में एकमात्र प्रभावी उपचार ‘डायलिसिस’ या फिर किडनी ट्रांसप्लांट करवाना होता है. जिन लोगों के किडनी पूरी तरह से खराब हो जाते हैं उनमें से अधिकांश रोगियों को ‘डायलिसिस’ पर रखा जाता है, जो कृत्रिम रूप से अपशिष्ट को अलग करने और शरीर से तरल पदार्थ बाहर निकालने के किडनी के काम को करता है.
डायलिसिस’ उपचार बेहद बोझिल है. मरीजों को आमतौर पर प्रति सप्ताह कई बार इस प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है, जिसमें प्रत्येक सत्र में कई घंटे लगते हैं.
ये प्रक्रिया मृत्यु के खतरे, विकलांगता और गंभीर जटिलताओं के जोखिम को बढ़ाता है.
क्रॉनिक किडनी डिजीज के जोखिम कारक क्या हैं?
अमेरिका में इस रोग के बढ़ने में सबसे बड़ा योगदान उच्च रक्तचाप और मधुमेह का है. मधुमेह से पीड़ित 40 फीसदी लोग और उच्च रक्तचाप से पीड़ित 30 फीसदी लोग दीर्घकालिक गुर्दा रोग का शिकार होते हैं. समस्या यह है कि, उच्च रक्तचाप की ही तरह दीर्घकालिक गुर्दा रोग के प्रारंभिक चरण में ज्यादातर लोगों को लक्षण नहीं दिखाई देते.
वर्तमान दिशा-निर्देशों के मुताबिक, जिन लोगों को विशेष रूप से उच्च रक्तचाप और मधुमेह जैसी समस्याएं हैं, उन्हें नियमित रूप से अपने किडनी की जांच करवानी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि स्थिति आगे न बढ़े. किडनी की बीमारी के लिए प्रारंभिक उपचार अकसर उच्च रक्तचाप और मधुमेह के प्रबंधन पर निर्भर करता है. मूल रूप से मधुमेह के इलाज में काम आने वाली एसजीएलटी 2 नाम की दवा सीधे किडनी की रक्षा करने में सक्षम हो सकती हैं, यहां तक कि उन लोगों में भी जिन्हें मधुमेह नहीं है.
प्रारंभिक उपचार में कौन-कौनी सी दिक्कतें आती हैं?
दीर्घकालिक गुर्दा रोग का शुरुआती उपचार अकसर नियमित नैदानिक ​​देखभाल के दौरान ही अनदेखा कर दिया जाता है. वास्तव में किडनी खराब होने की परेशानी झेलने वाले लगभग एक तिहाई लोग इस बीमारी के शुरुआती चरण में अपने किडनी की देखभाल के लिए कोई कदम नहीं उठाते हैं.
भले ही किसी मरीज को ये बीमारी हो लेकिन उनके चिकित्सक कभी उनके साथ इस पर चर्चा नहीं करते.
इस बीमारी से पीड़ित केवल 10 फीसदी लोगों को ही पता होता है कि उन्हें यह बीमारी है. इसका नतीजा ये होता है कि कई डॉक्टर दीर्घकालिक गुर्दा रोग का उपचार तब तक टालते हैं जब तक कि इसके लक्षण दिखाई न दें या फिर जांच के परिणाम खराब न आएं. इस कारण अक्सर शुरुआती चरण में इस बीमारी का निदान नहीं हो पाता और रोगियों को सही जानकारी नहीं मिल पाती.
रिसर्च से पता चलता है कि अश्वेत, महिलाओं और कम आय वाले लोगों या फिर कम पढ़े-लिखे लोग इस बीमारी का सबसे ज्यादा शिकार होते हैं.
मरीज किडनी के स्वास्थ्य को कैसे बेहतर बना सकते हैं?
जिन लोगों को दीर्घकालिक गुर्दा रोग का खतरा है या फिर जिन्हें शुरुआती चरण के बारे में पता चल गया है, वे इस खतरे को कम करने के लिए कई कदम उठा सकते हैं ताकि किडनी खराब न हों. सबसे पहले, मरीज अपने चिकित्सक से इस रोग के बारे में पूछ सकते हैं, खासकर अगर उन्हें उच्च रक्तचाप या मधुमेह जैसी समस्या हो.
लक्षण
अगर आपको सुबह-सुबह उठते ही थकान या कमजोरी महसूस हो रही है तो इसे नजरअंदाज न करें. किडनी की समस्या के कारण शरीर में टॉक्सिन जमा होने लगते हैं. ऐसी सूरत में सोकर उठने पर आपको हमेशा थकान महसूस हो सकती है. यूरिन यानी पेशाब का रंग भी आपकी किडनी की हेल्थ का एक अहम संकेत है. अगर आपका यूरिन बहुत पीला, झागदार या असामान्य रंग का है या बार-बार पेशाब आ रहा है तो ये किडनी की समस्याओं का संकेत हो सकता है. अगर सुबह पेट में ऐंठन महसूस हो तो ये भी किडनी की बीमारी का संकेत हो सकता है. अधिक प्यास लगना भी इसका एक संकेत हो सकता है. दरअसल किडनी की समस्या के कारण शरीर में पानी का संतुलन नहीं बन पाता है, जिसके चलते अधिक प्यास लगती है. शरीर के किसी भी हिस्से में इन्फेक्शन हो तो भी उसे नजरअंदाज न करें.
कैसे बचें?
डॉक्टर से संपर्क में रहें. लक्षण दिखने पर जांच कराएं. अध्ययनों से पता चलता है कि जो मरीज चिकित्सक से मिलकर इस बारे में सवाल पूछते हैं, उनसे जानकारी जुटाते हैं और चिंताएं व्यक्त करते हैं, उनके स्वास्थ्य परिणाम बेहतर होते हैं और वे अपनी देखभाल से अधिक संतुष्ट होते हैं. लेकिन अगर आपको ऐसा कुछ अनुभव नहीं हुआ तो आप स्वस्थ आहार खाकर, नियमित शारीरिक गतिविधियां (एक्सरसाइज) करके, निर्धारित दवाएं लेकर और अपने चिकित्सक की सलाह का पालन कर अपने किडनी को खराब होने से बचा सकते हैं. (द कन्वरसेशन)
डिस्क्लेमर: (प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है.  Zee News इसकी पुष्टि नहीं करता है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत या स्किन से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें).                               



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