नई दिल्ली. उच्चतम न्यायालय (Supreme court) ने नोएडा में सुपरटेक लिमिटेड (Supertech Limited) के दो 40 मंजिला टावर गिराने के अपने आदेश में संशोधन की मांग से जुड़ी रियल्टी कंपनी का आवेदन सोमवार को खारिज (Application Rejected) कर दी. कंपनी ने इस आवेदन में कहा था कि वह भवन निर्माण मानकों के अनुरूप एक टावर के 224 फ्लैटों को आंशिक रूप से ध्वस्त कर देगी. उसने इसके साथ ही टावर के भूतल पर स्थित सामुदायिक क्षेत्र को गिराने की भी बात कही थी. शीर्ष अदालत ने कहा कि इस तरह की राहत देना इस न्यायालय के फैसले और विभिन्न फैसलों पर पुनर्विचार करने के समान है.
उच्चतम न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि पुनर्विचार के लिए ’विविध आवेदनों’ या स्पष्टीकरण के नाम पर ऐसे आवेदन करने की मंजूरी नहीं दी जा सकती. न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की पीठ ने कहा कि सुपरटेक लिमिटेड के इस आवेदन में कोई दम नहीं है और इसलिए इसे खारिज किया जाता है. पीठ ने कहा, ’विविध आवेदनों के साथ कोशिश साफ तौर पर न्यायालय के फैसले में विस्तृत संशोधन की मांग करना है. विविध आवेदनों में इस तरह की कोशिश को मंजूरी नहीं दी सकती.’ सुपरटेक ने अपनी याचिका में कहा था कि टावर-17 (सेयेन) के दूसरे रिहायशी टावरों के पास होने की वजह से वह विस्फोटकों के माध्यम से इमारत को ध्वस्त नहीं कर सकती है और उसे धीरे-धीरे तोड़ना होगा.
इन दो टावरों को गिराने के निर्देश दिए थेकंपनी ने कहा था, “प्रस्तावित संशोधनों का अंतर्निहित आधार यह है कि अगर इसकी मंजूरी मिलती है, तो करोड़ों रुपये के संसाधन बर्बाद होने से बच जाएंगे, क्योंकि वह टावर टी-16 (एपेक्स) और टावर टी-17 (सेयेन) के निर्माण में पहले ही करोड़ों रुपये की सामग्री का इस्तेमाल कर चुकी है.” कंपनी ने साथ ही कहा था कि वह 31 अगस्त के आदेश पर पुनर्विचार का अनुरोध नहीं कर रही है. सुपरटेक लिमिटेड ने 31 अगस्त को उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए फैसले में संशोधन की अपील की थी जिसमें न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने कहा था कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 11 अप्रैल, 2014 के फैसले में किसी हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है. उच्च न्यायालय ने भी अपने फैसले में इन दो टावरों को गिराने के निर्देश दिए थे.
उच्च न्यायालय का यह विचार सही थाउच्चतम न्यायालय ने कहा था कि सुपरटेक के 915 फ्लैट और दुकानों वाले 40 मंजिला दो टावरों का निर्माण नोएडा प्राधिकरण के साथ साठगांठ कर किया गया है और उच्च न्यायालय का यह विचार सही था. पीठ ने कहा था कि दो टावरों को नोएडा प्राधिकरण और विशेषज्ञ एजेंसी की निगरानी में तीन माह के भीतर गिराया जाए और इसका पूरा खर्च सुपरटेक लिमिटेड को उठाना होगा. उच्चतम न्यायालय ने अपने आदेश में यह भी कहा था कि घर खरीदारों का पूरा पैसा बुकिंग के समय से लेकर 12 प्रतिशत ब्याज के साथ लौटाया जाए. साथ ही रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन को दो टावरों के निर्माण से हुई परेशानी के लिए दो करोड़ रुपये का भुगतान किया जाए.
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