गोरखपुर: अक्सर हमें लगता है कि शेर, बाघ और तेंदुआ जैसे बड़े मांसाहारी जानवर केवल मांस खाते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये जंगल के राजा सहित अन्य मांसाहारी जानवर भी कभी-कभी घास चबाते नजर आते हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि यह व्यवहार उनके स्वास्थ्य से जुड़ा होता है और उनके तनाव को कम करने में भी मदद करता है.जंगल में विभिन्न प्रकार के मांसाहारी जानवरों को देखा गया है कि, वे घास चबाते हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि घास में कुछ ऐसे पोषक तत्व होते हैं जो पाचन में मदद करते हैं. जब शेर और बाघ भारी मात्रा में मांस खाते हैं तो उनके पेट में तनाव और भारीपन महसूस होता है. इस समय घास का सेवन करने से उनके पेट में बनने वाले एसिड का स्तर कम होता है और पाचन तंत्र में सुधार आता है. इसके अलावा घास के सेवन से जानवरों को आत्म संतोष भी मिलता है.घास चबाने से मिलता है राहत और पोषणडॉ. योगेश प्रताप सिंह एक वन्यजीव विशेषज्ञ हैं. वह बताते हैं कि घास में फाइबर और कुछ विशेष पोषक तत्व होते हैं जो शेर और बाघ जैसे जानवरों के पाचन को बेहतर बनाते हैं. वे कहते हैं कि घास चबाना केवल एक आदत नहीं बल्कि एक स्वास्थ्य लाभकारी प्रक्रिया है. यह आदत उनके पेट के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए लाभकारी है. वहीं गोरखपुर चिड़ियाघर में भी जानवरों को घास खाने के लिए दिया जाता है. चिड़ियाघर में मांसाहारी जानवर भी घास खाकर अपने स्वास्थ्य को स्वस्थ बनाते हैं. यह डॉक्टर योगेश की निगरानी में होता है.तनाव कम करने का प्राकृतिक तरीकाविशेषज्ञों का मानना है कि घास चबाने का यह व्यवहार उन्हें मानसिक राहत भी देता है. शेर और बाघ जैसे जानवरों का जीवन भी कई बार तनावपूर्ण हो सकता है खासकर जब वे अपने इलाके की सुरक्षा कर रहे होते हैं या अपने भोजन की तलाश में होते हैं. ऐसे में घास चबाना उनके लिए एक स्वाभाविक और कारगर तरीका है जिससे वे खुद को संतुलित और स्वस्थ महसूस करते हैं.FIRST PUBLISHED : November 11, 2024, 20:34 IST
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