एक नई अध्ययन ने यह साबित किया है कि प्लेसेंटा और प्रेग्नेंसी के समय होने वाले डिप्रेशन का आपस में जुड़े हुए हैं. क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी के मेटर रिसर्च इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने गर्भावस्था के दौरान चिंता और अवसाद के कारणों को समझने में मदद करने वाली नई जानकारी हासिल की है.
शोध में वैज्ञानिकों ने प्लेसेंटा में 13 अलग-अलग ग्लूकोकॉर्टिकॉइड रिसेप्टर आइसोफॉर्म की पहचान की है. इनमें से एक विशेष आइसोफॉर्म गर्भावस्था के दौरान तनाव, चिंता और अवसाद से जुड़ा हुआ है.
एक्सपर्ट ने समझाया कनेक्शन
प्रोफेसर विकी क्लिफ्टन बताते हैं कि हाई कोर्टिसोल लेवल की उपस्थिति में यह आइसोफॉर्म प्लेसेंटा में एक इन्फ्लेमेटरी रिस्पांस को एक्टिव करता है, जो कि मां बनने वाली महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है.
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सूजन होने पीछे ये जिम्मेदार
यह शोध गर्भावस्था के दौरान तनाव प्रतिक्रिया की पारंपरिक समझ को चुनौती देता है. आमतौर पर ग्लूकोकॉर्टिकॉइड रिसेप्टर्स सूजन को दबाने का काम करते हैं, जबकि यह नया वेरिएंट सूजन को बढ़ाने में मदद करता है. यह शोध गर्भवती महिलाओं में तनाव और सूजन के बीच संबंध को स्पष्ट करता है.
लिंग-विशिष्ट चिकित्सा पर बात होना जरूरी
प्रोफेसर क्लिफ्टन ने यह भी बताया कि इस शोध ने नर और मादा भ्रूण के बीच महत्वपूर्ण अंतर उजागर किए हैं. उन्होंने कहा, वर्तमान में हम प्रसूति विज्ञान में भ्रूण के लिंग पर विचार नहीं करते हैं. लेकिन मुझे लगता है कि हमें लिंग-विशिष्ट चिकित्सा पर ध्यान देना चाहिए.
लिंग-विशिष्ट चिकित्सा का महत्व
शोध से पता चलता है कि भ्रूण का लिंग मां के शरीर की कार्यप्रणाली को अलग तरह से प्रभावित कर सकता है. इससे गर्भवती महिलाओं की देखरेख में नई संभावनाएं उत्पन्न होती हैं.
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