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Can Breast Cancer Affect the Fetus in Pregnant Women Mother Tells Oncologist | मां के पेट में पल रहे बच्चे के लिए कितना खतरनाक है ब्रेस्ट कैंसर? एक्सपर्ट डॉक्टर ने बताया सच



Can Breast Cancer Affect the Fetus: ब्रेस्ट कैंसर महिलाओं का एक बड़ा दुश्मन है, लेकिन जब कोई लेडी प्रेग्नेंट होती है, तो सिचुएशन और भी खराब हो जाती है. स्तन कैंसर से पीड़ित गर्भवती महिलाएं अक्सर फिक्रमंद रहती हैं कि इस बीमारी और उसके इलाज से पेट में पल रहे बच्चे पर क्या असर पड़ सकता है. आइए मेडिकल एक्सपर्स से समझने की कोशिश करते हैं कि क्या ब्रेस्ट कैंसर फीटस को नुकसान पहुंचा सकता है और कौन सी सावधानी बरती जा सकती है?
क्या स्तन कैंसर भ्रूण तक पहुंच सकता है?
डॉ. निथिन एसजी (Dr. Nithin SG), कंसल्टेंट, मेडिकल ऑन्कोलॉजी, सीके बिरला हॉस्पिटल दिल्ली ने कहा, “ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित गर्भवती महिलाओं के लिए सबसे ज्यादा फिक्र का सबब ये है कि क्या ये कैंसर भ्रूण तक फैल सकता है? खुशकिस्मती से, एक्सपर्ट्स ने ये कंफर्म किया है कि स्तन कैंसर खुद बच्चे को सीधे तरह से नुकसान नहीं पहुंचाता है. ये कैंसर ब्रेस्ट टिश्यू, लिम्फ नोड्स या मां के शरीर के भीतर अन्य इलाकों तक सीमित रहता है और बच्चे तक पहुंचने के लिए प्लेसेंटा को पार नहीं करता है.
ब्रेस्ट कैंसर के ट्रीटमेंट का फीटस पर असर
जबकि कैंसर खुद भ्रून को नुकसान नहीं पहुंचा सकता है, लेकिन प्रेग्नेंसी के दौरान स्तन कैंसर के इलाज में संभावित जोखिम हो सकते हैं. मेडिकल एक्सपर्ट बताते हैं कि ट्रीटमेंट के ऑपशंस प्रेग्नेंसी के स्टेज और कैंसर के स्टेज पर डिपेंड करते हैं.
पहली तिमाही
ये बच्चे के अंगों के विकास के लिए एक क्रूशियल पीरियड है. इसलिए कीमोथेरेपी और रेडिएशन जैसे कुछ ट्रीटमेंट से आम तौर पर बचा जाता है. हालांकि पहले तिमाही के दौरान ट्यूमर को हटाने के लिए सर्जरी को रिलेटिवली सेफ माना जाता है.
दूसरी और तीसरी तिमाही
अगर प्रेग्नेंसी इस स्टेज के दौरान ब्रेस्ट कैंसर का पता चलता है, तो कीमोथेरेपी सावधानी से दी जा सकती है. स्टडीज से पता चला है कि पहली तिमाही के बाद दी जाने वाली कीमोथेरेपी से बर्थ डिफेक्ट का रिस्क या बच्चे के विकास को नुकसान नहीं पहुंचता है. हालांकि बच्चे के जन्म के बाद तक रेडिएशन से बचा जाता है.
क्या इलाज में देरी करना एक ऑप्शन है?
कुछ मामलों में गर्भवती महिलाएं बच्चे को होने वाले किसी भी संभावित जोखिम से बचने के लिए चाइल्ड बर्थ के बाद तक कैंसर के ट्रीटमेंट में देरी करने पर विचार कर सकती हैं. हालांकि ये फैसला सिर्फ ऑन्कोलॉजिस्ट और ऑब्सटेट्रिशियन से सलाह के बाद ही लिया जाना चाहिए. इलाज में देरी करने से कैंसर बढ़ कर सकता है, जिससे इसका असरदार तरीके से ट्रीटमेंट करना ज्यादा मुश्किल हो जाता है.

बच्चे की सेहत पर नजर
ट्रीटमेंट के दौरान डॉक्टर मां और बच्चे की सेहत की बारीकी से निगरानी करते हैं ये सुनिश्चित करने के लिए रेग्युलर अल्ट्रासाउंड और टेस्ट किया जाता है कि बच्चा नॉर्मल तरीके से ग्रो हो रहा है और इलाज  से कोई नुकसान नहीं हो रहा है.
 
(Disclaimer:प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मक़सद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.)



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