देश के दिग्गज उद्योगपति और टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा का बुधवार देर रात निधन हो गया. उन्होंने 86 वर्ष की उम्र में मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली. इस खबर से देश भर में शोक की लहर दौड़ गई है, क्योंकि रतन टाटा को उनके उद्योगिक योगदान और सरल स्वभाव के लिए देशभर में ज्यादा सम्मान और प्यार मिलता था. टाटा संस के वर्तमान चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने उनके निधन की पुष्टि की है.
रतन टाटा के अचानक निधन ने सभी को स्तब्ध कर दिया है, क्योंकि कुछ दिन पहले तक वे पूरी तरह से स्वस्थ थे. रिपोर्ट्स के अनुसार, तीन दिन पहले तक उनका सेहत बिल्कुल नॉर्मल थी. वे अपने डेल के काम कर पा रहे थे और ऑफिस मीटिंग्स में हिस्सा भी ले रहे थे. हालांकि, 7 अक्टूबर को उन्हें अचानक मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती करवाया गया. अस्पताल में भर्ती होने के पीछे उनकी उम्र से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं और ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने की वजह बताई गई थी.
उनके आधिकारिक एक्स (पूर्व में ट्विटर) हैंडल से यह जानकारी दी गई थी कि उन्हें नॉर्मल हेल्थ चेकअप के लिए अस्पताल लाया गया है. लेकिन किसी ने सोचा भी नहीं था कि यह उनकी आखिरी अस्पताल यात्रा साबित होगी. रतन टाटा ने 09 अक्टूबर की रात दुनिया को अलविदा कह दिया, जिससे देशभर में शोक की लहर फैल गई.
रतन टाटा: सादगी और उच्च विचारों के प्रतीकरतन टाटा सादा जीवन और उच्च विचारों के प्रतीक थे. उन्होंने अपने जीवन को पूरी ईमानदारी और समर्पण के साथ जिया और अपने काम में उत्कृष्टता की मिसाल पेश की. टाटा समूह के चेयरमैन रहते हुए उन्होंने न केवल कंपनी को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया, बल्कि देश और दुनिया में भारतीय उद्योग को भी नया मुकाम दिलाया. रतन टाटा ने जीवन के अंतिम दिनों तक एक्टिव और स्वस्थ रहने का प्रयास किया. हालांकि, उम्र संबंधी समस्याओं और हाई ब्लड प्रेशर से जूझने के बाद उनकी सेहत बिगड़ने लगी थी.
देशभर में शोक की लहररतन टाटा के निधन की खबर से देशभर में शोक की लहर दौड़ गई है. उद्योग जगत से लेकर आम जनता तक, हर कोई इस महान शख्सियत को याद कर रहा है. टाटा समूह के कर्मचारियों से लेकर उन लोगों तक, जिनकी जिंदगी में रतन टाटा ने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कोई सकारात्मक बदलाव लाया, सभी ने उन्हें श्रद्धांजलि दी. प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और विभिन्न राजनीतिक एवं सामाजिक नेताओं ने उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है.
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