सेप्सिस एक गंभीर बीमारी है, जो तब उत्पन्न होती है जब शरीर का इम्यून सिस्टम किसी संक्रमण पर ज्यादा प्रतिक्रिया करता है. यह शरीर के टिशू और अंगों को नुकसान पहुंचाती है, जिससे कई बार शॉक, कई अंगों का फेल हो जाना और कभी-कभी मौत भी हो सकती है, खासकर जब इसे जल्दी पहचाना और इलाज नहीं किया जाता. सेप्सिस एक इमरजेंसी स्थिति है, जिसे समय पर पहचान कर इलाज करना बहुत जरूरी होता है.
मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर लिमिटेड में कंसल्टेंट माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉ. सयोनी दत्ता के अनुसार सेप्सिस किसी को भी प्रभावित कर सकता है, लेकिन कुछ लोग इसके अधिक खतरा में होते हैं. उनमें शामिल हैं- वृद्ध व्यक्ति, गर्भवती महिलाएं या हाल ही में गर्भवती हुई महिलाएं, नवजात शिशु, अस्पताल में भर्ती मरीज, आईसीयू में मरीज (विशेष रूप से जिन्हें कैथेटर या ब्रीदिंग ट्यूब लगे होते हैं), कमजोर इम्यूनिटी वाले लोग, क्रोनिक बीमारियों से ग्रस्त लोग और गंभीर चोटों से प्रभावित लोग (जैसे बड़े घाव)
संक्रमण जो सेप्सिस का कारण बनते हैंसेप्सिस आमतौर पर बैक्टीरियल संक्रमण के कारण होता है, लेकिन यह अन्य संक्रमण जैसे वायरस, परजीवी या फंगस से भी हो सकता है. आमतौर पर जिन संक्रमणों से सेप्सिस उत्पन्न होता है उनमें शामिल हैं- निमोनिया, यूटीआई, अपेंडिसाइटिस, पेट का संक्रमण, लिवर या बाइल डक्ट सिस्टम का संक्रमण और दिमाग या रीढ़ की हड्डी के संक्रमण.
लक्षण और संकेतसेप्सिस एक मेडिकल इमरजेंसी है और इसके लक्षण अलग-अलग समय पर भिन्न हो सकते हैं. कुछ सामान्य लक्षण और संकेत हैं:- बुखार या निम्न तापमान और कांपना- भ्रम की स्थिति- तेज सांस लेना- सांस लेने में कठिनाई- बेहोशी या ज्यादा थकान- ठंडी और पसीने से भरी त्वचा- अत्यधिक शारीरिक दर्द या असुविधा- तेज दिल की धड़कन, कमजोर नाड़ी या निम्न रक्तचाप- कम यूरिन उत्पादन
सेप्सिस से बचाव के उपायसेप्सिस से बचाव के लिए समय पर संक्रमण का इलाज और अच्छी स्वच्छता बनाए रखना आवश्यक है. सेप्सिस के खतरे को कम करने के सबसे प्रभावी तरीके संक्रमण से बचाव करना है. इसमें शामिल हैं:- अच्छे व्यक्तिगत स्वच्छता अभ्यास जैसे साबुन और पानी से हाथ धोना और भोजन की सुरक्षित तैयारी- दूषित पानी या अस्वच्छ शौचालयों से बचना- स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा अनुशंसित टीकाकरण लेना- स्वस्थ आहार खाना- क्रोनिक बीमारियों का नियमित इलाज कराना- त्वचा के घाव को तुरंत साफ करना और उसे सही तरीके से ढंककर रखना- किसी भी संक्रमण का समय पर इलाज कराना- नवजात शिशुओं के लिए स्तनपान कराना- अस्पतालों और क्लीनिकों को संक्रमण की रोकथाम और नियंत्रण के लिए मजबूत प्रोटोकॉल का पालन करना चाहिए- संक्रमण के लिए एंटीबायोटिक्स का सही तरीके से उपयोग करना
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.
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