झांसी. ‘शिक्षक साधारण नहीं होता, प्रलय और निर्माण उसकी गोद में पलते हैं.’, इस मशहूर वाक्य को झांसी की डॉ. नीति शास्त्री ने चरितार्थ करके दिखा दिया है. डॉ. नीति शास्त्री 25 वर्ष से अधिक समय तक शिक्षण जगत में अपना योगदान दे चुकी हैं. वह केंद्रीय विद्यालय में लंबे समय तक सेवाएं दे चुकी हैं. शिक्षा के प्रति उनके समर्पण को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें राष्ट्रपति पुरुस्कार से सम्मानित किया था.डॉ. शास्त्री कहती हैं कि उनके घर में बचपन से ही पढ़ाई-लिखाई का माहौल था. पिता डॉ. सुरेश चंद्र शास्त्री आयुर्वेद के चिकित्सक थे तो उनकी मां भी बेसहारा लड़कियों को पढ़ाने का काम करती थी. यहीं से उनके मन में शिक्षा के प्रति लगाव आ गया. बीएड करने के बाद उन्होंने केंद्रीय विद्यालय में नौकरी के लिए परीक्षा दी. पहली बारी में ही उनका चयन हो गया. इसके बाद उन्होंने देश के विभिन्न शहरों में जाकर छात्रों को पढ़ाया.छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए किया कामडॉ. नीति शास्त्री बताती हैं कि एक शिक्षक के तौर पर उन्होंने बच्चों को पढ़ाने के साथ ही उनके सर्वांगीण विकास के लिए भी काम किया. एनसीसी, स्काउट एंड गाइड और राष्ट्रीय सेवा योजना के साथ मिलकर उन्होंने कई प्रोजेक्ट में काम किया. इसके साथ ही गैर हिंदी भाषी राज्यों में जाकर वहां के शिक्षकों को हिंदी और संस्कृत के प्रति जागरूक करने का काम भी उन्होंने किया. उनके इन गुणों को देखते हुए ही उन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया गया.FIRST PUBLISHED : September 5, 2024, 13:50 IST
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