पीलीभीत. यूपी के पीलीभीत शहर का इतिहास सीधे तौर पर रोहिल्ला शासन काल से जुड़ा है. जिसकी गवाही अब भी शहर की तमाम जीर्ण-शीर्ण धरोहरें देती हैं. कई इमारतें तो अब जमींदोज हो चुकी हैं. लेकिन कई इमारतें अब भी ऐसी हैं जिन्हें संरक्षित कर उन्हें संजोया जा सकता है. लेकिन पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के हस्तक्षेप के बाद भी जिला प्रशासन इस ओर गंभीरता नहीं बरती जा रही है.पीलीभीत शहर में लंबे समय तक अफगान से आये रोहिल्लाओं का शासन रहा है. उस दौरान रोहिल्ला सरदारों ने पीलीभीत में बरेली दरवाजा, कोतवाली दरवाजा जैसे तमाम निर्माण कार्य कराए थे. लेकिन अब रखरखाव के अभाव में ये ऐतिहासिक धरोहरें जर्जर हो रही हैं. बरेली गेट व कोतवाली गेट के नीचे तमाम दुकाने संचालित होती हैं.कभी भी हो सकता है बड़ा हादसाकुछ साल पहले तत्कालीन डीएम पुलकित खरे ने इसके पुनरुद्धार को लेकर प्रयास किए थे. लेकिन मामला ठंडे बस्ते में चला गया था. पीलीभीत में ब्रिटिश काल के दौरान बनाई गई तहसील भी अब जर्जर हो चुकी हैं. लेकिन इसमें आज भी कुछ महत्वपूर्ण सरकारी दफ्तर संचालित होते हैं. ऐसे में अगर ये इमारतें किसी भी दुर्घटना का शिकार होती है तो भारी जानमाल का नुकसान होने की आशंका तो है ही साथ ही इन ऐतिहासिक धरोहरों का अस्तित्व भी जमींदोज हो जाएगा.2 धरोहरों को किया गया संरक्षितपीलीभीत की ऐतिहासिक धरोहरों पर लंबे समय से काम करते आ रहे सामाजिक कार्यकर्ता शिवम कश्यप ने बताया कि वह बीते कई वर्षों से जिले की धरोहरों के संरक्षण को लेकर प्रदेश व केंद्र सरकार से पत्राचार कर रहे हैं. उनके तमाम पत्राचार के बाद शहर की दो धरोहर बरेली दरवाज़ा व कोतवाली दरवाज़ा राज्य पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की ओर से संरक्षित कर लिया गया है. उम्मीद है कि प्रशासन का सहयोग मिलेगा तो इन धरोहरों को नया जीवन मिलेगा.FIRST PUBLISHED : July 18, 2024, 19:36 IST
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