अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड (जंक फूड) के सेवन से सेहत को होने वाले गंभीर खतरों को देखते हुए एक प्रसिद्ध मेडिकल एक्सपर्ट ने इन प्रोडक्ट्स पर सिगरेट की तरह चेतावनी लेबल लगाने की मांग की है. साओ पाउलो यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर कार्लोस मोंटेइरो ने यह भी सिफारिश की है कि ऐसे फूड पर ‘बड़ा टैक्स’ लगाया जाना चाहिए और इस कर से प्राप्त राशि का इस्तेमाल ताजे फलों और सब्जियों को सब्सिडी देने में किया जाना चाहिए. बता दें कि प्रोफेसर मोंटेइरो ही ‘अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड’ शब्द के जनक हैं.
अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड में काफी बदलाव किए जाते हैं और इनमें आम तौर पर बहुत अधिक मात्रा में नमक, चीनी, फैट और इंडस्ट्रियल केमिकल पदार्थ मिलाए जाते हैं. ऐसे फूड में पैकेट वाले चिप्स, केक, मीठे अनाज, बेकरी प्रोडक्ट, कोल्ड ड्रिंक, बेकन, चिकन नगेट्स, हॉटडॉग, फ्रोजन पिज्जा आदि शामिल हैं. इन अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड में तेल, फैट, चीनी, स्टार्च, प्रोटीन और सोडियम जैसे एडिटिव्स भरपूर मात्रा में होते हैं.
साओ पाउलो में होने वाले सम्मेलन से पहले मोंटेइरो ने गार्डियन को बताया कि अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड ग्लोबल डाइट में अपना हिस्सा बढ़ा रहे हैं और हावी हो रहे हैं, भले ही वे कई तरह की पुरानी बीमारियों का खतरा बढ़ाते हैं. उन्होंने आगे कहा कि अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड दुनिया भर में हेल्दी, कम प्रोसेस्ड फूड की जगह ले रहे हैं, साथ ही उनके कई हानिकारक गुणों के कारण डाइट की क्वालिटी भी खराब कर रहे हैं. ये फूड मिलकर मोटापे और अन्य डाइट-जनित गंभीर बीमारियों, जैसे डायबिटीज की महामारी को बढ़ावा दे रहे हैं.
इस साल जनवरी में प्रकाशित एक ग्लोबर रिव्यू से पता चला है कि अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड सेहत पर सीधे तौर पर 32 हानिकारक प्रभावों से जुड़े हैं, जिनमें दिल की बीमारी, कैंसर, टाइप 2 डायबिटीज, मानसिक सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव और अकाल मृत्यु का अधिक खतरा शामिल है. मोंटेइरो ने मीडिया को बताया कि अब चिंता इस बात पर है कि अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड मानव सेहत पर क्या प्रभाव डाल रहे हैं और लोगों को सेहत संबंधी खतरों से आगाह करने के लिए अध्ययन और समीक्षा अब पर्याप्त नहीं हैं. उन्होंने कहा कि तंबाकू के खिलाफ चलाए जाने वाले अभियानों की तरह ही अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड के खतरों को रोकने के लिए जनसेहत अभियानों की जरूरत है. ऐसे अभियानों में अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड के सेवन के सेहत खतरों को शामिल किया जाएगा.
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