Uttar Pradesh

ज्ञानवापी में लाठीचार्ज के बाद इस नेता ने किया था रक्ताभिषेक का ऐलान, फिर जानें क्या हुआ?



अभिषेक जायसवाल/वाराणसी : सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी में ज्ञानवापी स्थित व्यास जी के तलगृह में चल रही पूजा अर्चना पर रोक लगाने से सोमवार को इनकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा है कि तलगृह में पूजा के संबंध में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा यथास्थिति कायम रहेगी और मुसलमानों की नमाज भी जारी रहेगी उसमें भी यथास्थिति बनाए रखी जाएगी. कोर्ट ने माना कि तलगृह में पूजा से नमाज पर असर नहीं पड़ रहा है. गौरतलब है कि ज्ञानवापी में पूजा हाल में ही शुरू हुई है लेकिन इसको लेकर लड़ाई 29 साल पुरानी है.

1995 में पहली बार ज्ञानवापी में स्थित श्रृंगार गौरी के दर्शन के लिए उस वक्त के तत्कालीन शिवसेना नेता अरुण पाठक ने रक्ताभिषेक का ऐलान किया था. शुरू में बात नहीं बनी तो ज्ञानवापी के बाहर उन्होंने ब्लेड से अपना हाथ भी काट लिया. जिसके बाद उन्हें आनन-फानन में अस्पताल में भर्ती कराया गया. अरुण पाठक ने बताया कि उस समय अस्पताल में उन्हें 28 टांके लगाए गए थे. जिसके बाद भी वो श्रृंगार गौरी के दर्शन के लिए अड़े रहे तो प्रशासन ने छोटे-छोटे टुकड़ियों में उन्हें दर्शन कराया. उसके कुछ समय बाद ही वहां साल में सिर्फ एक दिन नवरात्रि की चतुर्थी तिथि को दर्शन के लिए अनुमति दी गई.

सावन में हुआ भक्तों पर लाठीचार्जगौरतलब है कि 1995 में सावन के पहले सोमवार को विश्व हिंदू परिषद के बड़े नेता रहे अशोक सिंघल के नेतृत्व में सैकड़ों लोगों ने ज्ञानवापी स्थित श्रृंगार गौरी के दर्शन के लिए कूच किया था. उस समय प्रशासन ने उस भीड़ को रोक दिया. भीड़ जब थोड़ी हिंसक हुई तो उन पर लाठीचार्ज कर दिया गया. इस लाठीचार्ज में दर्जनों लोग घायल हुए थे.

धरने के बाद काटा हाथइसी घटना के बाद अरुण पाठक ने शिव सैनिको के साथ बैठक कर सावन के तीसरे सोमवार को श्रृंगार गौरी में रक्ताभिषेक करने का ऐलान किया था. जैसे ही अरुण पाठक अपने समर्थकों के साथ वहां पहुंचे तो पुलिस ने उन्हें रोक दिया. जिसमे बाद पहले वहां धरना शुरू हुआ और फिर बात नहीं बनी तो अरुण पाठक ने ब्लेड से अपना हाथ काट लिया.
.FIRST PUBLISHED : April 2, 2024, 23:09 IST



Source link

You Missed

Scroll to Top