Wrong Blood Transfusion: पुणे में मेडिकल लापरवाही से दो मरीजों की जान पर बन आई. दोनों को अगल-बगल लिटाकर खून चढ़ाया जाना था. शनिवार को उन्हें गलती से दूसरे ब्लड ग्रुप का खून चढ़ा दिया गया. गनीमत रही कि पास बैठे एक मरीज के रिश्तेदार ने ब्लड पाउच पर लिखा नाम पढ़ लिया. फौरन ब्लड ट्रांसफ्यूजन रोका गया. अभी दोनों मरीजों को आईसीयू में ऑब्जर्वेशन पर रखा गया है. उन्हें 72 घंटों तक निगरानी में रखने के बाद क्लियर हो पाएगा कि सेहत कैसी है. हालांकि, पूरी तरह से स्थिति साफ होने में 14 दिन तक लग सकते हैं. मेडिकल एक्सपर्ट्स के अनुसार, किसी व्यक्ति को गलत ब्लड टाइप का खून चढ़ाना जानलेवा साबित हो सकता है. जिसे गलत ब्लड दिया गया है, उसका इम्यून सिस्टम दूसरे ब्लड ग्रुप की कोशिकाओं पर हमला शुरू कर देता है. ऐसे में ब्लड ट्रांसफ्यूजन का कोई मतलब नहीं रह जाता. इम्यून और क्लॉटिंग सिस्टम की सक्रियता से मरीज शॉक में जा सकता है. उसकी किडनी फेल हो सकती है, ब्लड सर्कुलेशन में परेशानी आती है, यहां तक कि मरीज की मौत भी हो सकती है. इसलिए खून चढ़वाते समय बेहद सावधान रहना चाहिए.
ब्लड ट्रांसफ्यूजन क्या होता है?जब मरीज के शरीर में बाहरी रक्त चढ़ाया जाता है तो उसे ब्लड ट्रांसफ्यूजन कहते हैं. मरीज की नस में सुई लगाई जाती है, यह सुई एक कैथेटर से जुड़ी रहती है. खून को इसी इंट्रावीनस (IV) लाइन के जरिए शरीर में दाखिल कराया जाता है. ब्लड ट्रांसफ्यूजन की प्रक्रिया में मरीज को सही खून चढ़ाया जाना बहुत जरूरी है.
खून चार टाइप का होता है- A, B, AB और O. ये टाइप खून की कोशिकाओं पर मौजूद एंटीजेंस के हिसाब से तय होते हैं. O ब्लड ग्रुप का खून किसी को भी चढ़ाया जा सकता है. वहीं, AB ब्लड ग्रुप वाले मरीज को किसी भी ग्रुप का खून दिया जा सकता है. इसके अलावा Rh फैक्टर का ध्यान रखना भी जरूरी है. यह एक तरह का एंटीजन होता है. किसी व्यक्ति का खून या तो Rh पॉजिटिव होता है या Rh नेगेटिव. अगर किसी व्यक्ति का खून Rh+ है तो उसे Rh पॉजिटिव या Rh नेगेटिव ब्लड दिया जा सकता है. हालांकि, Rh- ब्लड की सूरत में मरीज में को सिर्फ Rh नेगेटिव ब्लड ही चढ़ाना चाहिए.
गलत टाइप का खून चढ़ा दिया जाए तो…
जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के अनुसार, हर अगर किसी व्यक्ति को गलत टाइप का खून चढ़ा दिया जाए तो उसका इम्यून सिस्टम उससे लड़ना शुरू कर देगा. यह बेहद गंभीर स्थिति होती है. मरीज को गलत खून चढ़ाए जाने की सूरत में हीमोलिटिक ट्रांसफ्यूजन रिएक्शन होता है. इसमें मरीज का इम्यून सिस्टम डोनर ब्लड की रेड ब्लड सेल्स (RBCs) को खत्म करना शुरू कर देता है. यह रिएक्शन गलत खून शरीर में पहुंचते ही शुरू हो सकता है या कुछ दिन भी लग सकते हैं.
ब्रेन को नुकसान पहुंचाने वाले फूड्स, दिमाग को रखना है दुरुस्त तो करें परहेज
गलत ब्लड ट्रांसफ्यूजन के लक्षण
अमेरिका के नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन (NCBI) के मुताबिक, गलत ब्लड ट्रांसफ्यूजन के शुरुआती लक्षणों में कंपकंपी छूटना, बुखार आना और बदन दर्द शामिल हैं. कुछ ट्रांसफ्यूजन रिएक्शंस के लक्षण हल्के होते हैं और खुद-ब-खुद ठीक हो जाते हैं. हालांकि, कई मामलों में यह जानलेवा साबित हो सकता है. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, मरीज की किडनी या लिवर शटडाउन हो सकती है, यहां तक कि मौत भी हो सकती है.
खाते हैं अंधाधुंध विटामिन की गोलियां? जान लीजिए कितना खतरनाक हो सकता है ओवरडोज
इलाज क्या है?
सबसे पहले तो ब्लड ट्रांसफ्यूजन को रोकना होता है. फिर मरीज को आईसीयू में रखना पड़ता है और उसकी लगातार निगरानी करनी होती है. इलाज इस बात पर निर्भर करेगा कि रिएक्शन कितना गंभीर है. मरीज के इम्यून सिस्टम को शांत करने के लिए स्टेरॉयड्स दिए जा सकते हैं.

No integrated medical course in JIPMER for now
NEW DELHI: The proposed integrated medical course, combining MBBS and BAMS (Bachelor of Ayurvedic Medicine and Surgery) at…