Uttar Pradesh

Where the father’s coffin was lifted, the son returned as a doctor, now saving the lives of others ballia news – News18 हिंदी



सनन्दन उपाध्याय/बलिया: वाह रे कुदरत का करिश्मा… जहां पर बेटे ने अपने पिता को कंधा दिया आज वहां पर लोगों को जीवनदान दे रहा है. दरअसल, सड़क दुर्घटना के बाद जिस अस्पताल में उस शख्स के पिता ने दम तोड़ा था. आज वहां पर उनका बेटा लोगों का इलाज कर रहा है. हम बात कर रहे हैं बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. अविनाश कुमार उपाध्याय की, जिसने पढ़ाई के दौरान इस दुखद परिस्थिति से जूझते हुए अपने संघर्ष और मेहनत के बल पर वह मुकाम हासिल किया जो आज हर किसी को भावुक कर जाता है.

बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. ए.के उपाध्याय ने कहा कि पिता की इस घटना ने मुझे पूरी तरह से तोड़ दिया था. लेकिन, प्रयास करना नहीं छोड़ा और आखिरकार सफलता उस प्रकार मिली जिसमें कुदरत का अजीब करिश्मा दिखा. इस अस्पताल में मैंने अपने पिता को अंतिम कंधा दिया. उसी जिला अस्पताल में ईश्वर ने डॉक्टर बना दिया है.

संघर्ष की कहानीजिला चिकित्सालय बलिया के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ अविनाश कुमार उपाध्याय ने का जन्म बलिया के छोटे से गांव इंदरपुर में हुआ. उनकी प्रारंभिक शिक्षा दीक्षा प्राथमिक पाठशाला से हुई. जूनियर हाई स्कूल से आठवीं तक की पढ़ाई- लिखाई अपने गांव से ही की. इसके बाद अपने पिता के साथ गोरखपुर चले गए और वहां पर आगे की पढ़ाई की.

पढ़ाई के दौरान ही पिताजी ने छोड़ दिया साथजिस समय मैं गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस(mbbs) कर रहा था, तभी मेरे जीवन में अचानक दुख का पहाड़ टूट पड़ा. एक सड़क दुर्घटना ने मेरी जिंदगी को बदल दिया. 21 जनवरी 2013 को मेरे पिताजी का निधन हो गया. इसी अस्पताल में मैंने उनको अंतिम कंधा दिया था.

पढ़ाई के दौरान ही बढ़ गई परिवार की जिम्मेदारीपिता के निधन के बाद परिवार की जिम्मेदारी इन पर आ गई. क्योंकि, ये घर पर सबसे बड़े थे. इनके ऊपर छोटे भाई और बहन की पढ़ाई लिखाई के साथ उनकी शादी की भी जिम्मेदारी थी. अविनाश ने बताया कि मैं भी उस समय अविवाहित था.वहीं से असली संघर्ष की शुरुआत हुई.

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जिस अस्पताल में पिता को दिया कंधा, वहीं पर आज डॉक्टरअविनाश ने बताया कि इस अस्पताल में पिता को अंतिम कंधा दिया और कुदरत का करिश्मा देखिए कि इसी जिला अस्पताल में मैं डॉक्टर बनकर आया. ताकि अन्य लोगों की सेवा कर सकूं. इस बात का आश्चर्य मुझे भी हुआ कि जहां पर मैंने अपने पिता को कंधा दिया, वहीं पर ईश्वर ने मुझे भेज दिया. आज मैं पूरे उत्साह और लगन के साथ कोशिश करता हूं कि मानवता की सेवा कर सकूं. आज मैं इस घटना की वजह से आत्मीयता और भावनात्मक रूप से इस अस्पताल से जुड़ा हुआ.
.Tags: Ballia news, Local18FIRST PUBLISHED : March 12, 2024, 10:38 IST



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