Uttar Pradesh

ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग या फव्वारा? अब रहस्य से उठेगा पर्दा.. जानें हिंदू पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट से क्या कुछ कहा



नई दिल्ली. हिंदू महिला वादियों ने उच्चतम न्यायालय का रुख कर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को उस ‘शिवलिंग’ की प्रकृति और उसकी विशेषताओं का पता लगाने का निर्देश देने का अनुरोध किया है जिसके बारे में दावा किया गया है कि वह वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद में एक सीलबंद क्षेत्र में पाया गया है.

चार हिंदू महिलाओं ने एक अलग याचिका में उच्चतम न्यायालय के 19 मई 2023 के आदेश को भी रद्द करने का अनुरोध किया है जिसमें उसने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 12 मई 2023 के निर्देश पर ‘शिवलिंग’ की आयु का पता लगाने के लिए कार्बन डेटिंग समेत वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने पर रोक लगा दी थी. ये महिलाए वाराणसी की एक अदालत में लंबित मुकदमे की मूल वादी भी हैं.

उन्होंने कहा कि ‘शिवलिंग’ की असल प्रकृति उसके आसपास की कृत्रिम/आधुनिक दीवार/फर्श हटाकर और खुदाई कर पूरे सीलबंद इलाके का सर्वेक्षण तथा अन्य वैज्ञानिक पद्धतियों का इस्तेमाल करके पता लगाया जा सकता है. वकील विष्णु शंकर जैन के जरिए दायर याचिका में कहा गया है कि एएसआई को अदालत द्वारा दिए गए समय के भीतर एक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया जाए.

इसमें कहा गया है, “उचित और प्रभावी जांच के लिए यह आवश्यक है कि एएसआई को शिवलिंग (जिसे मुस्लिमों ने एक फव्वारा होने का दावा किया है) की प्रकृति और उसकी विशेषताओं का पता लगाने के लिए उसके आसपास आवश्यक खुदाई और अन्य वैज्ञानिक पद्धतियों का इस्तेमाल करने का निर्देश दिया जाए.”

याचिका में कहा गया है कि ‘शिवलिंग’ की मूल संरचना और उससे जुड़ी विशेषताओं का पता लगाने के लिए खुदाई आवश्यक है. यह याचिका उच्चतम न्यायालय में तब दायर की गई है जब कुछ दिन पहले वाराणसी की जिला अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर की सर्वे रिपोर्ट सभी पक्षकारों को सौंपे जाने का आदेश दिया.

जैन ने बाद में दावा किया था कि एएसआई के वैज्ञानिक सर्वे की रिपोर्ट में कहा गया है कि मस्जिद का निर्माण पहले से मौजूद हिंदू मंदिर की संरचना पर किया गया था. दोनों याचिकाओं में महिला वादियों ने कहा कि वाराणसी की दीवानी अदालत के आदेश पर एक सर्वे किया गया जिसके दौरान 16 मई 2022 को एक तालाब में एक बड़ा ‘शिवलिंग’ पाया गया.

वादियों ने कहा कि 16 मई 2022 को मिला ‘शिवलिंग’ भगवान शिव के भक्तों और ‘सनातन धर्म’ के अनुयायियों के लिए पूजा की एक वस्तु है. याचिका में कहा गया है, “श्रद्धालुओं को भगवान की पूजा, आरती और भोग लगाने का पूरा अधिकार है और उन्हें ऐसे अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है.”

इसमें कहा गया है कि मामले में प्रमुख मुद्दा यह है कि 16 मई 2022 को मिली वस्तु ‘शिवलिंग’ है या फव्वारा, जिसका केवल वैज्ञानिक जांच से ही पता चल सकता है. याचिका में कहा गया है कि एएसआई प्रमुख प्राधिकरण है जो पूरे सीलबंद इलाके का वैज्ञानिक सर्वेक्षण कर सकता है जिससे मामले में सच्चाई का पता चल सकता है. हिंदू कार्यकर्ताओं का दावा है कि इस स्थान पर पहले एक मंदिर था और 17वीं शताब्दी में मुगल सम्राट औरंगजेब के आदेश पर इसे ध्वस्त कर दिया गया था.
.Tags: Gyanvapi Masjid, Gyanvapi Mosque, Supreme CourtFIRST PUBLISHED : January 31, 2024, 17:04 IST



Source link

You Missed

authorimg
Uttar PradeshNov 5, 2025

सोना-चांदी का भाव: यूपी में सोने-चांदी की कीमतें गिरीं, 900 रुपए लुढ़का गोल्ड, चांदी में 500 रुपए की गिरावट, जानें आज के ताजा भाव

उत्तर प्रदेश के सर्राफा बाजार में सोने-चांदी के भाव में गिरावट की खबरें आ रही हैं। नवंबर महीने…

authorimg
Uttar PradeshNov 5, 2025

केवल 10 हजार रुपये की लागत लगाकर तीन महीने में लाखों रुपये कमा रहा किसान, इस खेती ने बना दिया मालामाल!

फिरोजाबाद के किसान ने सैंगरी की सब्जी की खेती से लाखों में कमाई की है. उनकी खेती में…

SC Asks ED to Trace, Secure Absconding Mahadev Betting App Accused
Top StoriesNov 5, 2025

सुप्रीम कोर्ट ने ED से मांगा माहादेव बेटिंग ऐप के भागीदारों की गिरफ्तारी के लिए कार्रवाई करने का निर्देश दिया

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) महादेव बेटिंग ऐप के सह-संस्थापक महादेव…

Scroll to Top