Uttar Pradesh

ज्ञानवापी मंदिर या मस्जिद? क्या कहते हैं इतिहास के पन्ने? जानें एक्सपर्ट की राय What do the pages of history say about Gyanvapi temple or mosque, the historian raised the curtain – News18 हिंदी



अंजलि सिंह राजपूत/लखनऊ: काशी के ज्ञानवापी का मामला इन दिनों चर्चा का केंद्र बना है, कुछ लोगों का मानना है कि ज्ञानवापी मंदिर है तो किसी का कहना है कि यह मस्जिद है. इतिहास के पन्ने क्या कहते हैं यही जानने के लिए जब देश के जाने-माने इतिहासकार डॉ. रवि भट्ट से बात की. डॉ. रवि भट्ट ने बताया कि काशी विश्वनाथ मंदिर 9 से 10 वीं शताब्दी के बीच का प्रमाणित होता है और 14वीं से लेकर 16 वीं शताब्दी के बीच इसे दोबारा बनवाया गया.

डॉ. रवि भट्ट ने बताया कि ने बताया कि चीन का एक यात्री था उसने भी यहां का भ्रमण किया था. तराइन का युद्ध भारत के इतिहास का बहुत ही महत्वपूर्ण युद्ध है यह युद्ध दिल्ली के चौहान राजपूत शासक पृथ्वीराज और मोहम्मद गौरी के बीच 1191 और 1192 में लड़ा गया था. इस युद्ध की वजह से भारत का इतिहास बदल गया. तराइन के द्वितीय युद्ध में पृथ्वीराज चौहान के हारने के बाद ही भारत में मुस्लिम साम्राज्य की नींव पड़ी थी. 1193 में चंदावर के युद्ध में मुहम्मद गौरी ने राजा जयचंद को पराजित किया था और यहां पर अपना कमांडर नियुक्त किया जिसका नाम कुतुबुद्दीन ऐबक था.

क्यों हुआ था मान सिंह का विरोध?सन 1194 के आसपास काशी विश्वनाथ मंदिर को कुतुबुद्दीन ऐबक ने लूटा और क्षतिग्रस्त किया था. इसके बाद एक गुजराती व्यापारी ने इसका पुनर्निर्माण कराया था. इसके बाद 15 वीं शताब्दी के मध्य में सिकंदर लोदी ने मंदिर को फिर क्षति पहुंचाई. अकबर के समय में राजा टोडरमल ने इसे बनाया. डॉ. रवि भट्ट ने बताया कि राजा मानसिंह की लड़की की शादी मुस्लिम परिवार में हुई थी इसलिए जब राजा मानसिंह ने काशी विश्वनाथ के पुनर्निर्माण की कोशिश की तो दक्षिण भारतीय ब्राह्मण नारायण भट्ट समेत कई ब्राह्मणों ने इसका विरोध कर किया.

राजा होलकर का प्रयास हुआ था विफलइतिहासकार डॉ. रवि भट्ट ने बताया कि 1669 में औरंगजेब ने मंदिर को फिर तुड़वाया था और वहां मस्जिद बनवाई. इसके बाद 1742 में राजा होलकर ने मस्जिद गिराकर मंदिर बनवाने का प्रयास किया लेकिन अवध पर उस समय नवाब राज करते थे. ऐसे में नवाबों के कारण मंदिर निर्माण नहीं हो पाया. इसके बाद में 1750 में एक हिंदू राजा जय सिंह ने आसपास की जमीन खरीद कर मंदिर का पुराना स्वरूप लौटाने की कोशिश की, लेकिन वह फेल हो गया.

क्यों कहा जाता है ज्ञानवापी?रवि भट्ट कहते हैं कि1780 में अहिल्याबाई ने मंदिर का स्वरूप लौटाने का काम किया. 1833 में ज्ञानवापी वाले दीवार बनाई गई और 1835 में राजा रणजीत सिंह ने एक किलो सोना मंदिर को दान में दिया था. इस स्थान को ज्ञानवापी इसलिए कहते हैं क्योंकि वहां पर एक कुआं है उसका नाम है ज्ञानवापी.
.Tags: Gyanvapi controversy, Gyanvapi Masjid Survey, Local18, Lucknow news, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : January 29, 2024, 19:08 IST



Source link

You Missed

At least 17 dead, 13 missing as floods, landslides wreak havoc in Dehradun, neighbouring areas
Top StoriesSep 17, 2025

देहरादून और आसपास के क्षेत्रों में भारी बारिश और भूस्खलन के कारण कम से कम 17 लोगों की मौत हो गई, 13 लोग लापता हैं।

उत्तराखंड में मानसून की वापसी ने देहरादून शहर में विनाशकारी बाढ़ की एक नई लहर को लॉन्च किया…

NCB asks states to trace 16,000 overstaying foreigners
Top StoriesSep 17, 2025

एनसीबी ने 16,000 अत्यधिक समय तक रहने वाले विदेशी नागरिकों की पहचान करने के लिए राज्यों से अनुरोध किया है ।

नई दिल्ली: नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को लगभग 16,000 विदेशी नागरिकों…

authorimg
Uttar PradeshSep 17, 2025

ध्यान दीजिए! दमघोंटू हुई ग्रेटर नोएडा की हवा! देश का तीसरा सबसे प्रदूषित शहर बना, एयर क्वालिटी इंडेक्स 201 पार

ग्रेटर नोएडा की हवा एक बार फिर जहरीली हो गई है. वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 201 दर्ज होने…

Scroll to Top