Uttar Pradesh

रामपुर के दो नवाबों के उस्ताद रहे थे मिर्जा गालिब,अपने किस्सों में किये थे जिक्र



अंजू प्रजापति/ रामपुरः शायरी की दुनिया के बादशाह मिर्जा गालिब जिनकी कलम ने हर दौर में एक से बढ़कर एक बेहतरीन शायरी लिखी थी. वैसे तो बेहतरीन शख्सियत मिर्ज़ा ग़ालिब का जन्मआगरा में हुआ था. लेकिन उनका रामपुर से बहुत गहरा नाता रहा.मिर्जा गालिब के रामपुर नबाब से बेहद घनिष्ठ संबंध रहे. मिर्जा गालिब दो बार रामपुर आए थे और दुनिया की प्रसिद्ध रजा लाइब्रेरी बिल्डिंग में वे रहे महान शायर दो रामपुर नवाब के उस्ताद रहे. इसके बदले उन्हें रामपुर रियासत से वजीफा भी दिया जाता था. आज भी उनसे जुड़ी तमाम यादें एशिया की मशहूर रजा लाइब्रेरी रामपुर में मौजूद है.

गालिब इश्क को जीते थे. वह इश्क का आखिरी छोर थे. उनकी नज्में और शेर ने सालों साल इश्क की तहजीब दुनिया को दी है.अगर हम यूं कहें कि इश्क गालिब से शुरू होता है तो यह कोई आश्चर्यजनक बात नहीं होग.उनका हर शेर एक जिंदादिल आशिक की तरह इश्क की रस्मों को निभाता है. उनके कुछ ऐसे दमदार शेर हम आपकी नजर कर रहे हैं.

याद…

हुई मुद्दत कि ‘ग़ालिब’ मर गया पर याद आता है,

वो हर इक बात पर कहना कि यूँ होता तो क्या होता !

गुफ़्तगू…

हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है

तुम्हीं कहो कि ये अंदाज़-ए-गुफ़्तगू क्या है

दो बार रामपुर आए गालिब साहबइतिहासकार डॉक्टर जहीर अली सिद्दीकी ने बताया किमिर्ज़ा ग़ालिब का रामपुर सेगहरा ना था. जब दिल्ली में रह कर बच्चों को पढ़ाया लिखाया करते थे और फिर शायरी में भी इस्लाम करने लगे तब रामपुर के शासक युसूफ अली खान उनके शागिर्द हुए. दूसरी बात यह की मिर्ज़ा ग़ालिब अपने जीवन में दो मर्तबा रामपुर आए और लंबे अरसे तक रामपुर में रहे और जब मिर्ज़ा ग़ालिबरामपुर मेंरहते थे. तब उन्हें रियासत से प्रतिमाह दो सौ रुपये का वजीफा दिया जाता था और जब वह रामपुर से बाहर रहते थे तब भी उन्हें सौ रुपये का वजीफा दिया जाता था.

अपने किस्सों में किया रामपुर का जिक्रमिर्जा गालिब ने अपनी लेखनी के माध्यम से कोसी नदी के मीठे पानी और रामपुर के शानदार भोजन की बार बार प्रशंसा की थी. रामपुर रजा लाइब्रेरी में लाइब्रेरियन रहे मौलाना इम्तियाज अली अर्शी और इतिहासकार जहीर अली सिद्दीकी ने भी अपने कई लेखों में मिर्जा गालिब और रामपुर के रिश्ते को उजागर किया है.

गालिब की नजर में रामपुर

रामपुर अहले नजर की है नजर में वो शहर,

के जहां हश्त बहश्त आके हुए हैं बाहम।

रामपुर एक बड़ा बाग है अज रोये मिसाल,

दिलकश व ताजा व शादाब व वसी व ख़ुर्रम।

जिस तरह बाग़ में सावन की घटाएं बरसें,

है उसी तौर पे यां दजला फिशां दस्ते करम।

ग़ालिब की कविता में रामपुरयह रामपुर है दारे शुरुर है जो लुफ्त यहांवो और कहांअर्थात मुझे जितना लुफ्त यहां आता है अच्छा लगता है मुझे और कहीं नहीं मिलता. शहर से तीसों कदम दरिया है और कोसी उसी का नाम है बे-सुबह चश्में आवे हयात का कोई सोत उसमें मिली है. आबे हयात वह पानी है कि कभी अगर कोई इसका सेवन कर ले तो वह मर ही नहीं सकता और पीने वाला गुमान करता है कि यह मीठा शरबत है. कुछ इस तरह मिर्जा गालिब ने अपनी लेखनी में रामपुर की तमाम प्रशंसा की.
.Tags: Local18, Rampur newsFIRST PUBLISHED : January 11, 2024, 12:17 IST



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