Uttar Pradesh

एक ऐसा रेलवे स्टेशन जो गवाह है अत्याचार और अन्याय की लड़ाई का, ट्रेनें बंद हुईं…पटरी उखाड़ी गई, जानें कहानी



सनन्दन उपाध्याय/बलिया : जिले का एक ऐसा स्टेशन जिसमें अन्याय, अत्याचार एवं शोषण के विरुद्ध अहिंसक आंदोलन का प्रारूप भरा पड़ा है. ब्रिटिश शासन से चला आ रहा यह बलिया का रेलवे स्टेशन काफी ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण है. इस रेल लाइन की पटरी उखड़ गई ट्रेनें बंद हो गई बावजूद इसके बलिया के लोगों ने हार नहीं मानी. अपने बागी तेवर से इस ऐतिहासिक रेलवे स्टेशन के अस्तित्व को मिटने नहीं दिया. सबसे खास बात यह रही की आज तक बलिया के लोगों ने अपने बागी तेवर में कभी भी हिंसा के रास्ते को शामिल नहीं किया. ऐसे ही थोड़े कहा जाता बलिया को बागी.

इतिहासकार डॉ. शिवकुमार सिंह कौशिकेय बताते हैं कि बलिया का रेलवे स्टेशन ऐतिहासिक है. यह ब्रिटिश शासन काल से ही चला आ रहा है. इसमें कहीं न कहीं अन्याय, अत्याचार एवं शोषण के विरुद्ध अहिंसक आंदोलन का प्रारूप जुड़ा हुआ है. सबसे मजेदार बात यह रही कि बलिया के लोगों ने अपने तेवर में कभी हिंसा को शामिल नहीं किया.

ये हैं इस ऐतिहासिक रेलवे स्टेशन की रोचक कहानीजिले का यह रेलवे स्टेशन कई बार ध्वस्त हुआ लेकिन बलिया के लोगों ने हार नहीं मानी. रेलवे स्टेशन स्थापित भी हुआ और आज अपने भव्य रूप में परिवर्तित हो गया. इस रेलवे स्टेशन में उन तमाम बलिया के बलिदानियों का संघर्ष, बागी तेवर और कर्तव्यनिष्ठता जुड़ा हुआ है. सन 1996 में बलिया जिले को कुछ नई सौगात मिली थी.

यह जनपद सन 1891 से 1895 ई0 के बीच ब्रिटिश सरकार के समय में बनीं छोटी लाइन रेलवे सेवा से जुड़ा हुआ था. जिसके बदलाव का काम सन 21 फरवरी 1996 ई0 को छोटी लाइन की अंतिम डाउन रेलगाड़ी के बंद होने से शुरू हुई. सन 12 मार्च 1996 को बड़ी लाइन के पहले रेल इंजन के बलिया रेलवे स्टेशन पर पहुंचने के साथ संपन्न हो गया. 09 जुलाई 1996 को बलिया जिले के इब्राहिम पट्टी के रहने वाले उस समय के लोकप्रिय प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर एवं रेलमंत्री रामविलास पासवान ने इसी स्टेशन से पहली सवारी गाड़ी को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था.

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विशेष चिकित्सा ट्रेन ‘धनवंतरि’ का आगमनइसी बीच 06 अप्रैल 1997 ई0 को जिलाधिकारी हरीराम का स्थानांतरण हो गया. 07 अप्रैल 1997 ई0 को ही नरेश कुमार बलिया के जिलाधिकारी बन कर आ गए. 18 दिसम्बर 1997 ई0 में इसी रेलवे स्टेशन से राहत भरी खबर मिली. विशेष चिकित्सा ट्रेन ‘धनवंतरि’ का आगमन हुआ. जिसमें तैनात चिकित्सकीय समूह के द्वारा सेनानियों, पूर्व सैनिकों के परिजनों व आम जनता की भी सेवा 22 दिसम्बर 1997 से पांच दिनों तक निःशुल्क किया गया था.

प्रदर्शनी की विशेष रेलगाड़ी स्वतंत्रता स्वर्ण जयंती ट्रेन भी आई27 दिसम्बर 1997 ई0 को बलिया रेलवे स्टेशन पर स्वतंत्रता आन्दोलन के इतिहास को दर्शाने वाली चित्र प्रदर्शनी की विशेष रेलगाड़ी स्वतंत्रता स्वर्ण जयंती ट्रेन भी आ गई जिसका छात्रों और जनता ने अवलोकन किया. 26 अक्तूबर 1999 को बाबूराम यादव बलिया जिले के जिलाधिकारी बनाये गए. जिले को अन्याय, अत्याचार एवं शोषण के विरुद्ध अहिंसक आंदोलन के लिये बलिया को बागी कहा गया. बलिया के लोगों ने कभी भी अराजकता और हिंसा का समर्थन ही नहीं किया.
.Tags: Ballia news, Indian Railway news, Local18, UP newsFIRST PUBLISHED : January 9, 2024, 13:09 IST



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