Uttar Pradesh

क्या बसपा में रहकर दानिश अली को दिख रही थी हार? अब कांग्रेस में जाने की अटकलें



हाइलाइट्सबसपा ने अमरोगा सांसद दानिश अली को पार्टी से निकाला. पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का लगाया आरोप. दानिश अली के कांग्रेस पार्टी में जाने की लग रही अटकलें.लखनऊ. बसपा ने अमरोहा से सांसद कुंवर दानिश अली को पार्टी से निकाल दिया है. उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए निलंबित करने की चिट्ठी महासचिव सतीश चन्द्र मिश्रा ने जारी की. चिट्ठी में कहा गया है कि बार-बार हिदायत देने के बावजूद दानिश अली पार्टी लाइन से इतर व्यवहार कर रहे थे. हाल के दिनों में वे दूसरे मुस्लिम लीडर हैं जिन्हें बसपा ने पार्टी से निकाला है. बता दें कि दानिश अली से पहले इमरान मसूद को मायावती ने पार्टी से निकाल दिया था. दोनों पश्चिमी यूपी के बड़े मुस्लिम चेहरे रहे हैं.

हालांकि, यह भी कहा जा रहा है कि दानिश अली बसपा छोड़ने ही वाले थे. उन्हें पता था कि बिना गठबंधन के वे बसपा के टिकट पर दोबारा जीत नहीं पाएंगे. बसपा ने अकेले लोकसभा चुनाव लड़ने का एलान किया है. चर्चा गंभीर चल रही थी कि दानिश अली की कांग्रेस से नजदीकी बढ़ती जा रही थी. दो घटनाए इस ओर इशारा भी कर रही हैं. इमराम मसूद इस कहानी में एक और किरदार हैं.

गौरतलब है कि दानिश अली का लोकसभा का जब प्रकरण हुआ था तब 22 सितंबर को राहुल गांधी उनसे मिलने उनके घर गए थे. इसके दो हफ्ते बाद ही यानी 7 अक्टूबर को इमराम मसूद ने कांग्रेस जॉइन कर लिया. उन्हें बसपा ने 29 अगस्त को ही निकाल दिया था, लेकिन, डेढ़ महीने बाद भी वे किसी किनारे नहीं पहुंच पाए थे. दानिश अली के घर मीटिंग के बाद इमरान मसूद ने कांग्रेस जॉइन कर लिया. कहा जाता है कि वे कांग्रेस छोड़कर गए थे इसलिए उनकी वापसी में परेशानियां थीं, जिसे दानिश ने दूर किया.

बसपा को इसकी भनक थी कि दानिश अली पार्टी छोड़ सकते हैं, लिहाजा मायावती ने उन्हें ऐसा करने का मौका नहीं दिया. दानिश अली ने 2019 का लोकसभा चुनाव भाजपा के कुंवर सिंह तंवर को हराकर जीता था. करीब 64 हजार वोटों से जीतने वाले दानिश अली पिछले दिनों खूब चर्चा में रहे. वे कर्नाटक से पूर्व पीएम एचडी देवगौड़ा का आशीर्वाद लेकर चुनाव लड़ने अमरोहा आए थे. संसद में भाजपा सांसद द्वारा आपत्तिजनक शब्द बोले जाने के बाद दानिश अली ने काफी सुर्खियां बटोरी थी. तब राहुल गांधी ने दानिश अली से उनके घर जाकर मुलाकात की थी. खुलेआम चर्चा तभी से शुरू हो गई थी.

आंकड़े बताते हैं कि अमरोहा में बिना गठबंधन के सपा और बसपा का जीतना मुश्किल ही रहा है. यहां अकेले लड़कर न तो सपा जीत सकती है और ना ही बसपा. अमरोहा सीट पर बसपा को अकेले लड़ने पर दो लाख के नीचे वोट मिलते रहे हैं और सपा को दो लाख के थोड़ा ऊपर. इन दोनों में वोटों के बटवारे से तीसरी पार्टी जीतती रही. साल 2004, 2009 और 2014 का चुनाव इसकी बानगी हैं.

साल 2019 में जब बसपा और सपा ने साथ चुनाव लड़ा तब उसके उम्मीद्वार दानिश अली जीत सके. इसीलिए ये कहा जा रहा है कि मायावती के अकेले लड़ने के एलान के बाद दानिश अली को अपनी हार साफ दिखाई दे रही थी. वे पाला बदलने के मूड में थे ही. लेकिन, मायावती ने उनके अगले कदम को भांप लिया और झटके में बहुजन समाज पार्टी से निकालने का पत्र जारी कर दिया.
.Tags: 2024 Lok Sabha Elections, BSP chief Mayawati, Loksabha Election 2024, UP news, UP politicsFIRST PUBLISHED : December 9, 2023, 18:56 IST



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