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Micro particles of plastic can increase risk of parkinson disease know what type of disease is this | प्लास्टिक के माइक्रो कणों से बढ़ा पार्किंसन रोग का खतरा, जानिए क्या है ये बीमारी?



प्लास्टिक के छोटे-छोटे कण (जिन्हें नैनोप्लास्टिक कहा जाता है) पार्किंसन रोग का खतरा बढ़ा सकते हैं. यह तब हो सकता है, जब ये कण दिमाग में पाए जाने वाले एक विशेष प्रोटीन से संपर्क में आते हैं. एक अध्ययन में पाया गया कि नैनोप्लास्टिक से संपर्क में आने पर यह प्रोटीन बदल जाता है और पार्किंसन रोग का कारण बन सकता है.
अमेरिका के ड्यूक यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के प्रोफेसर एंड्रयू वेस्ट ने कहा कि पार्किंसन दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ता ब्रेन संबंधी डिसऑर्डर है. इस अध्ययन के निष्कर्ष बताते हैं कि पार्किंसन रोग के खतरे को कम करने के लिए प्लास्टिक प्रदूषण को कम करना महत्वपूर्ण है.खून में पाया जा रहाप्लास्टिक के माइक्रो पार्टिकल हमारे खून में भी पाए जा रहे हैं. इसका कारण यह है कि प्लास्टिक का ठीक से निस्तारण नहीं किया जाता है. प्लास्टिक छोटे-छोटे टुकड़ों में टूटकर पानी और खाने में मिल जाता है. इसलिए ज्यादातर वयस्क लोगों के खून में प्लास्टिक के सूक्ष्म कण पाए जाते हैं. प्लास्टिक के सूक्ष्म कण पर्यावरण में सांस संबंधी बीमारियों को भी बढ़ा रहे हैं.
क्या है पार्किंसन रोग?पार्किंसन रोग एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जिसमें हाथ या पैर से दिमाग में पहुंचने वाली नसें काम करना बंद कर देती हैं. यह बीमारी जेनेटिक कारणों के साथ-साथ पर्यावरणीय विषमताओं के कारण भी होती है. यह बीमारी धीरे-धीरे विकसित होती है, इसलिए इसके लक्षण पहचानना मुश्किल हो जाता है. अनुमान है कि हर 10 में से एक दिमागी रोगी पार्किंसन रोग का शिकार होता है.
पार्किंसन रोग के कुछ सामान्य लक्षण- हाथ या पैर में कंपन- चलने में कठिनाई- बात करने में कठिनाई- चेहरे पर भावों को व्यक्त करने में कठिनाई- नींद में गड़बड़ी
वायु प्रदूषण से भी दिक्कतअमेरिका के बैरो न्यूरोलॉजिकल इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन में पाया कि वायु प्रदूषण पार्किंसन और डिमेंशिया रोग का खतरा बढ़ा सकता है. अध्ययन के अनुसार, वायु प्रदूषण के कारण पार्किंसन रोग का खतरा 56% तक बढ़ सकता है. इस अध्ययन में पाया गया कि वायु में मौजूद पीएम 2.5 या इससे छोटे आकार के कण सांस के माध्यम से दिमाग तक पहुंच जाते हैं और वहां सूजन पैदा कर देते हैं. इस सूजन के कारण पार्किंसन या डिमेंशिया रोग हो सकता है.



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