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2007 वर्ल्ड कप में लगा दाग द्रविड़ वर्ल्ड कप 2023 में मिटा देंगे! टीम इंडिया के कामयाबी के रियल हीरो



World Cup 2023: भारत के मुख्य कोच राहुल द्रविड़ 2007 वर्ल्ड कप में उस टीम के कप्तान थे जो शुरुआती दौर में बाहर हो गई थी, जिससे अब वह रविवार को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ फाइनल में इसकी भरपाई करना चाहेंगे. राहुल द्रविड़ के नाम वनडे में 10,889 रन है, लेकिन भारतीय कप्तान के तौर पर 2007 वर्ल्ड कप से उनकी विरासत में जो दाग लगा, उसे कोच के तौर पर वह 16 साल बाद मिटाना चाह रहे होंगे जब उनके खिलाड़ी ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वर्ल्ड कप फाइनल में उतरेंगे.
कल द्रविड़ के कॉन्ट्रैक्ट का आखिरी दिन दिलचस्प बात है कि भारतीय कोच के रूप में उनके दो साल के अनुबंध का अंतिम दिन भी रविवार ही है. उनका अनुबंध संयुक्त अरब अमीरात में टीम के 2021 टी20 वर्ल्ड कप के ग्रुप लीग के बाहर होने के बाद शुरू हुआ था. अगर भारत जीत जाता है तो उन्हें इस पद पर बरकरार रखने के लिए काफी शोर होगा लेकिन जो भी द्रविड़ को जानता है, वो कहेगा कि वह इस खिताबी जीत पर बहुत गौरवान्वित होंगे.
टीम इंडिया के कामयाबी के रियल हीरो
भारतीय टीम में राहुल द्रविड़ के एक पूर्व साथी ने कहा, ‘जैमी (राहुल का निकनेम) ऐसा है जो बहुत स्वाभिमानी है. उन्होंने 2007 वर्ल्ड कप में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद कप्तानी नहीं छोड़ी थी, लेकिन कुछ महीनों के बाद इंग्लैंड में सीरीज जीती थी और वनडे सीरीज भी अच्छी रही थी. इंग्लैंड में टेस्ट जीत के बाद ही वह पद से हटे. यहां भी अगर भारत जीतता है तो बीसीसीआई उन्हें नया अनुबंध पेश कर सकता है.’ द्रविड़ आलोचना से अछूते नहीं हैं. अपने खेलने के दिनों में बेंगलुरु के इस खिलाड़ी को वनडे में अपनी ‘धीमी बल्लेबाजी’ के कारण आलोचना झेलनी पड़ी.
लगातार हो रही थी आलोचना 
जब वह कोच बने तो लोगों का ध्यान इस बात पर केंद्रित हो गया कि कैसे यह 50 वर्षीय पूर्व खिलाड़ी भारतीय टीम को खिताब नहीं दिला पा रहा. कुछ समय पहले ‘द्रविड़ को बर्खास्त’ करो सबसे ज्यादा ट्रेंड करने वाला हैशटैग था. मानसिक रूप से इन चीजों का सामना करना आसान नहीं होता, लेकिन द्रविड़ अलग मिट्टी के बने हैं.
भारत के महान क्रिकेटर
भारत और कर्नाटक के पूर्व बल्लेबाज सुजीत सोमसुंदर ने द्रविड़ को काफी लंबे समय तक करीब से देखा है और उन्हें लगता है कि इन सभी चीजों का उनके पुराने साथी पर कोई असर नहीं पड़ा होगा. सोमसुंदर ने कहा, ‘राहुल विभाजन करने में बहुत अच्छे हैं. वह जानते हैं कि कब गंभीर होना है और कब थोड़ा सहज रहना है. इस क्षमता के बिना वह इतने महान क्रिकेटर नहीं होते जितने हैं. वह एक ऐसा व्यक्ति है जो विषय की परवाह किए बिना हमेशा सार्थक बातचीत करना पसंद करता है जिससे दूसरे लोग उसे एक गंभीर व्यक्ति समझ सकते हैं.’



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