Bishan Singh Bedi: भारत के पूर्व कप्तान और बाएं हाथ के देश के महानतम स्पिनर बिशन सिंह बेदी को अपनी हाजिर जवाबी और बेबाक रवैए के लिए जाना जाता था. बिशन सिंह बेदी विवादों में भी काफी रहे. बता दें कि भारत के पूर्व कप्तान और बाएं हाथ के देश के महानतम स्पिनर बिशन सिंह बेदी का लंबी बीमारी के बाद सोमवार को निधन हो गया. बिशन सिंह बेदी को 1976 में भारतीय क्रिकेट टीम का कप्तान बनाया गया. बिशन सिंह बेदी मंसूर अली खान पटौदी के बाद कप्तान बने थे.
…जब पाकिस्तान की बेईमानी से भड़क गए थे बिशन सिंह बेदीबिशन सिंह बेदी दुनिया के ऐसे पहले कप्तान थे, जिन्होंने टीम के जीत के करीब होने के बावजूद गलत अंपायरिंग का विरोध करके मैच गंवा दिया था. यह 3 नवंबर 1978 की घटना है, जब भारत को पाकिस्तान के खिलाफ साहिवाल में खेले जा रहे वनडे मैच में 14 गेंद पर 23 रन की जरूरत थी और उसके 8 विकेट बचे हुए थे. पाकिस्तान के तेज गेंदबाज सरफराज नवाज ने तब लगातार चार बाउंसर डाले और अंपायर ने उनमें से एक को भी वाइड करार नहीं दिया. इसके विरोध में बिशन सिंह बेदी ने अपने बल्लेबाजों को वापस बुला दिया था और भारत यह मैच हार गया.
जीता-जिताया मैच ‘गिफ्ट’ में दे दिया!
जबकि भारत के पास आठ विकेट बचे थे और उसे जीत के लिए 14 गेंदों पर सिर्फ 23 रन चाहिये थे. इसे लेकर उनकी आलोचना हुई थी. टर्बनेटर के नाम से हरभजन सिंह लोकप्रिय हैं, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि बेदी देश के पहले ‘टर्बनेटर’ थे. बेदी को यह नाम सत्तर के दशक में दर्शकों ने दिया था. बेदी को हमेशा एक रंगीन पटका पहनते थे, इसलिए उन्हें टर्बनेटर कहा जाता था. बिशन सिंह बेदी ने करियर में 67 टेस्ट खेले इसमें उन्होंने 27.81 की औसत से 266 विकेट हासिल किए जब उन्होंने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लिया तब वे सबसे ज्यादा टेस्ट विकेट लेने वाले भारतीय थे. बेदी ने 22 टेस्ट मैचों में भारत की कप्तानी भी की.
वैसलीन का उपयोग करने पर आपत्ति
बेदी का विवादों से भी पुराना नाता रहा है. अपनी बेबाक टिप्पणियों के कारण वह जब तब विवादों में भी फंसते रहे. वह 1976-77 में इंग्लैंड के तेज गेंदबाज जान लीवर के वैसलीन का उपयोग करने पर आपत्ति जताने और 1976 में वेस्टइंडीज की खौफनाक गेंदबाजी के कारण किंग्सटन में भारत की दूसरी पारी समाप्त घोषित करने के कारण भी चर्चा में रहे थे. बेदी ने 15 साल की उम्र में उत्तरी पंजाब की तरफ से 1961-62 में रणजी ट्राफी में डेब्यू किया और बाद में वह दिल्ली की तरफ खेले. विकेट निकालने में वह माहिर थे और इसलिए कभी उनका तीर खाली नहीं जाता था. एक समय नार्थम्पटनशर को उन्होंने काउंटी क्रिकेट में खासी सफलता दिलाई थी.
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