Uttar Pradesh

‘अंगूठा-से-अक्षर’ अभियान ने बदली इस गांव की तस्वीर, जानें कैसे हुई शुरुआत ?



संजय यादव/बारबंकी. बारबंकी के एक सरकारी विद्यालय में लंच टाइम के दौरान अद्भुत क्लास चलती है. जिसमें बच्चों को नहीं बल्कि गांव की निरक्षर महिलाओं और पुरुषों को पढ़ना-लिखना सिखाया जा रहा है. यहां स्कूल के शिक्षकों के प्रयासों का असर बच्चों के साथ ही गांव के बुजुर्गों पर भी पड़ा है. शिक्षकों ने अंगूठा से अक्षर नाम से एक अभियान शुरू किया.

शिक्षकों के इस अभियान का मकसद छात्रों के अशिक्षित अभिभावकों को पढ़ने और लिखने के तरीके सिखाने और बाकी ग्रामीणों को भी प्रोत्साहित करना था. इस अभियान को स्कूल समय के बाद या लंच ब्रेक के दौरान चलाया जाने लगा. धीरे-धीरे शिक्षकों का यह प्रयास जब सफल होने लगा, तो फिर क्या था. उनकी इस पहल से गांव के बाकी लोग भी जुड़ने लगे और आज गांव की अच्छी-खासी संख्या साक्षर बन चुकी है.

‘अंगूठा-से-अक्षर’ अभियान की खासियतअंगूठे से अक्षर नाम का यह अभियान बाराबंकी जिले में सिरौलीगौसपुर ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय गहरेला में चल रहा है. अभियान के तहत लग रही कक्षाओं में गांव के महिला और पुरुष कॉपी-कलम लेकर अक्षरों का ज्ञान ले रहे हैं. इसमें कोई तीस तो कोई पचास वर्ष का है, कुछ तो ऐसे हैं जिन्होंने जीवन में पहली बार अपने हाथों में कलम पकड़ी है. मगर साक्षर होने की ललक सभी में साफ देखी जा सकती है. शिक्षकों द्वारा दी गई कॉपी और पेन को सभी ने सहेजा और पढ़ाई शुरू की. आज इन्हें स्कूल के शिक्षकों के साथ ही गांव के वह बच्चे भी सिखा रहे हैं, जो बड़ी क्लासों में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. ये बच्चे खाली समय में स्कूल आते हैं और ग्रामीणों को शाक्षर बनाने में शिक्षकों की मदद कर रहे हैं.

राज्य पुरस्कार भी जीत चुका है ये विद्यालयआपको बता दें कि प्राथमिक विद्यालय गहरेला एक कॉन्वेंट स्कूल से कहीं ज्यादा बेहतर है. यहां के शिक्षकों ने इस स्कूल को जिले का मॉडल स्कूल बनाया है. इस खूबसूरत स्कूल में पढ़ाई भी अव्वल दर्जे की होती है. शायद यही वजह है कि स्कूल ऑफ एक्सीलेंस होने के लिए यह विद्यालय राज्य पुरस्कार भी जीत चुका है. विद्यालय के प्रधानाध्यापक मनीष बैसवार खुद 2019 में आईसीटी पुरस्कार जीत चुके हैं.

रसोइया से हुई थी अभियान की शुरुआतविद्यालय के प्रधानाचार्य मनीष बैसवार ने बताया कि बच्चों की पहली शिक्षक मां होती है, इसलिए हर महिला को साक्षर होना ही चाहिए. अगर मां शिक्षित है तो बच्चे भी शिक्षित और संस्कारित होते हैं. जब हम लोगों को पता चला कि विद्यालय की रसोंइया ही शिक्षित नहीं हैं और वह हस्ताक्षर तक नहीं कर पाती. ऐसे में उन्होंने अंगूठे से अक्षर अभियान के तहत सबसे पहले अपने विद्यालय की रसोइया को ही शिक्षित करने की शुरूआत की. फिर बच्चों के अभिभावकों को साक्षर करना शुरू किया.
.Tags: Barabanki News, Local18, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : October 5, 2023, 20:48 IST



Source link

You Missed

MHA releases Rs 900 crore helicopter subsidy scheme for north-eastern states
Top StoriesNov 10, 2025

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उत्तर-पूर्वी राज्यों के लिए 900 करोड़ रुपये के हेलीकॉप्टर सब्सिडी योजना को जारी किया है

उत्तर-पूर्व क्षेत्र में हेलिकॉप्टर सेवा के लिए सब्सिडी को सीमित करने के लिए, गृह मंत्रालय ने सात पात्र…

Is the Government Back Open? Shutdown Update After Democrats’ Vote – Hollywood Life
HollywoodNov 10, 2025

सरकार फिर से खुली है? डेमोक्रेट्स के वोट के बाद शटडाउन का अपडेट – हॉलीवुड लाइफ

सरकारी शटडाउन के 40वें दिन, अमेरिकी सीनेट में एक देर रात्रि प्रक्रियात्मक मतदान ने शटडाउन में एक असामान्य…

authorimg

Scroll to Top