04 मंदिर के अंदर ही ऋषि शमीक और श्री श्रृंगी ऋषि की मूर्ति भी है. यह मूर्ति उस पूरे घटनाक्रम का अनुभव कराती है, जब कलयुग राजा परीक्षित के सिर पर सवार हुआ था. मान्यता के अनुसार, जब राजा परीक्षित शिकार करते हुए इस आश्रम पहुंचे थे, तब उन्होंने ऋषि शमीक से जल मांगा था. लेकिन, ऋषि तपस्या में लीन थे. इसके बाद उनकी तपस्या भंग करने के लिए परीक्षित ने एक सर्प को उनके गले में फेंक दिया था. यह सब देखकर ऋषि के पुत्र श्रृंगी को गुस्सा आया और उन्होंने ही परीक्षित को सर्पदंश से मृत्यु का श्राप दिया था.
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