निखिलेश प्रताप सिंह/उन्नाव. रसगुल्ला कहीं का भी हो उसको खाने का अपना ही आनंद होता है. उत्तर भारत के हर शहर में यह स्वादिष्ट रसगुल्ले मिल ही जाता है. कुछ ऐसा ही उन्नाव में भी है. यहां के चकलवंशी का रसगुल्ला अपने स्वाद का दीवाना बना देता है. लगभग 100 साल पुरानी इस दुकान के रसगुल्ले इतने फेमस हैं कि हरदोई रोड पर सफर करने वाले सैकड़ों लोग इस दुकान पर रसगुल्ला खाए बिना आगे नहीं जाते. खास बात ये कि यहां रसगुल्ला मटकी में पैक कर दिया जाता है.जिला मुख्यालय से 17 किलोमीटर दूर हरदोई रोड का चकलवंशी चौराहा अपने रसगुल्ले के बेजोड़ स्वाद के लिए मशहूर है. दुकान के संचालक कल्लू गुप्ता बताते हैं कि उनकी दुकान 100 वर्ष पुरानी है. इसकी नींव उनके बाबा के बाबा ने रखी थी. शुद्ध देसी मावा व अन्य सामग्री से भट्टी की आंच पर तैयार होने वाले इस रसगुल्ले के स्वाद के चलते लोग यहां खिंचे चले आते हैं. यहां पर दिन भर कढ़ाई भट्टी पर चढ़ी रहती है. आने वाले ग्राहकों को गरमागरम रसगुल्ले ही दिए जाते हैं.मिट्टी की खुशबू स्वाद को कर देती है दोगुनासबसे खास बात यह है कि यहां से यदि आप रसगुल्ला घर या किसी मेहमान के लिए ले जाने के लिए पैक कराते हैं तो आपको को प्लास्टिक के कंटेनर के बजाय मिट्टी की मटकी में रसगुल्ले दिए जाते हैं. रसगुल्लों के स्वाद को मिट्टी की खुशबू और बढ़ा देती है. दुकानदार ने बताया कि 16 रुपये पीस के हिसाब से रसगुल्ला बेचा जाता है, जबकि तौल में 340 रुपये किलो की दर से रसगुल्ला बिकता है. लोग आते हैं, खाते हैं और अपने घरों के लिए भी पैक कराते हैं..FIRST PUBLISHED : September 27, 2023, 21:04 IST
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