Uttar Pradesh

तीर्थनगरी गढ़मुक्तेश्वर में लगने वाले कार्तिक मेले की ये हैं मान्यताएं… जानें कैसे मिलता है स्वर्ग ?



अभिषेक माथुर/हापुड़. तीर्थनगरी गढ़मुक्तेश्वर में लगने वाले कार्तिक मेले की अपनी अलग ही पहचान है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश का यह सबसे बड़ा मेला होता है, जो करीब छह किलोमीटर से भी ज्यादा एरिया में लगता है. इस मेले में उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि देश के अलग-अलग राज्यों से हजारों की संख्या में लोग स्नान के लिए आते हैं. ऐसी मान्यता है कि मेले के दौरान कार्तिमा पूर्णिमा पर ब्रजघाट में स्नान करने वाले श्रद्धालुओं को पूरे वर्ष किये जाने वाले गंगा स्नान से अधिक पुण्य प्राप्त होता है.

आपको बता दें कि गढ़मुक्तेश्वर में लगने वाले इस मेले की शुरूआत दीपावली होने के बाद से ही हो जाती है. मेले की तैयारियों को लेकर अधिकारियों ने अपनी रणनीति अभी से बनानी शुरू कर दी है. मेले का स्वरूप इस बार कैसा रहेगा और मेले में आने वाले श्रद्धालुओं को किसी तरह की अव्यवस्था का सामना न करना पड़े, इसके लिए मंथन होना शुरू हो गया है. जिला पंचायत द्वारा इस मेले को लेकर तैयारियां भव्य रूप से की जाती है.

राजपाठ से पांड़वों का हो गया था मोहभंगआचार्य रंजीत सिंह बताते हैं कि गढ़गंगा में लगने वाले इस कार्तिक मेले की मान्यता है कि महाभारत युद्ध के दौरान मारे गए वीर योद्धाओं के शवों को देखकर पांड़वों का मन व्याकुल हो उठा था. पांड़वों में राजपाठ से मोहभंग की स्थिति उत्पन्न हो गई थी. जिस पर भगवान श्रीकृष्ण को चिंता हुई, तो वह कार्तिक माह में पांड़वों को अपने साथ लेकर गढ़ खादर में आए. यहां उन्होंने कई दिन तक पड़ाव डालकर गंगा स्नान सहित पांड़वों से धार्मिक अनुष्ठान कराए. पांडवों को शोक से निकालने के लिए श्रीकृष्ण ने यहां मृत आत्माओं की शांति के लिए यज्ञ और दीपदान किया. तभी से कार्तिक पूर्णिमा के दिन गढ़मुक्तेश्वर में स्नान और दीपदान की परंपरा शुरू हो गई. आचार्य रंजीत सिंह ने बताया कि मान्यता ऐसी है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन जो भी श्रद्धालु दान करता है, उसे स्वर्ग की प्राप्ति होती है.

इन राज्यों से आते है श्रद्धालुआपको बता दें कि गढ़मुक्तेश्वर के खादर क्षेत्र में गंगा किनारे लगने वाले कार्तिक पूर्णिमा मेले में दीपावली के बाद से ही रेतीले मैदान पर तंबू लगने शुरू हो जाते हैं. यहां हापुड़ के अलावा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों मेरठ, मुजफ्फरनगर, बागपत, गाजियाबाद, बड़ौत, सहारनपुर, शामली, बुलंदशहर से ही श्रद्धालु नहीं आते, बल्कि देश के अन्य राज्यों हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, उत्तराखंड आदि से श्रद्धालु यहां आकर तंबू नगरी में रहते हैं. गढ़मुक्तेश्वर में श्रद्धालु करीब 5 से 7 दिन रुक कर मां गंगा की अविरल जलधारा में डुबकी लगाकर पुण्य कमाते हैं.
.Tags: Dharma Aastha, Hapur News, Local18, Religion 18, Uttar pradesh news, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : September 24, 2023, 19:28 IST



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