विकाश कुमार/चित्रकूट. चित्रकूट प्रभु श्री राम की तपोभूमि है. यहां बने हनुमान धारा के बारे में कहा जाता है कि जब हनुमान जी ने लंका में आग लगाई. उसके बाद उनकी पूंछ में लगी आग को बुझाने के लिए वो इस जगह आये थे. जिन्हे भक्त अब हनुमान धारा का दर्जा देते है.यह पवित्र स्थान हनुमान धारा के नाम से जाना जाता है. यह विन्ध्यास के शुरुआत में रामघाट से तकरीबन 6 किलोमीटर दुर है.एक चमत्कारिक पवित्र और ठंडी जल धारा पर्वत से निकल कर हनुमान जी की मूरत की पूंछ को स्नान कराकर नीचे कुंड में चली जाती है. कहा जाता है कि जब हनुमान जी ने लंका में अपनी पूंछ से आग लगाई थी तब उनकी पूंछ पर भी बहूत जलन हो रही थी. रामराज्य में भगवानश्री राम से हनुमान जी ने विनती की जिससे अपनी जली हुई पूंछ का इलाज हो सके. श्री राम ने अपने बाण के प्रहार से इसी जगह पर एक पवित्र धारा बनाई जो हनुमान जी की पूंछ पर लगातार गिरकर पूंछ के दर्द को कम करती रही.हनुमान धारा के रूप में जाना जाता है ये स्थानतब प्रभु श्रीराम ने मुस्कराते हुए कहा, ‘चिंता मत करो.भगवान श्रीराम ने हनुमानजी को यह स्थान बताया.आप चित्रकूट पर्वत पर जाइयेवहां आपके शरीर पर अमृत तुल्य शीतल जलधारा के लगातार गिरने से आपको इस कष्ट से मुक्ति मिल जाएगी.हनुमान जी ने चित्रकूट आकर विंध्य पर्वत श्रंखला की एक पहाड़ी में श्री राम रक्षा स्त्रोत का पाठ 1008 बार किया. जैसे ही उनका अनुष्ठान पूरा हुआ. ऊपर से एक जल की धारा प्रकट हो गयी.जलधारा शरीर में पड़ते ही हनुमान जी के शरीर को शीतलता प्राप्त हुई. आज भी यहां वह जल धारा के निरंतर गिरती है.जिस कारण इस स्थान को हनुमान धारा के रूप में जाना जाता है.धारा का जल पहाड़ में ही विलीन हो जाता है.उसे लोग प्रभाती नदी या पातालगंगा कहते हैं..FIRST PUBLISHED : September 24, 2023, 13:26 IST
Source link
भाजपा से महसूस हो रहा है धोखा, एनडीए सहयोगी एसबीएसपी ने बिहार चुनाव के पहले चरण के लिए 48 प्रत्याशियों की घोषणा की
बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) ने बुधवार को 48 प्रत्याशियों…

