Uttar Pradesh

मुनाफे का सौदा साबित हुआ हल्दी की खेती… महिला किसान ने बताए चौंकाने वाले फायदे



अभिषेक माथुर/हापुड़. उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले में किसानों के लिए प्राकृतिक हल्दी की खेती मुनाफे का सौदा साबित हो रही है. यही वजह है कि किसानों का हल्दी की खेती के प्रति रूझान बढ़ रहा है. कई किसानों ने इस बार अपने खेतों में हल्दी का बीज बोया है. हापुड़ के बहादुरगढ़ स्थित गंगा नेचुरल फार्म में हल्दी की खेती कर रहीं एक युवा महिला किसान प्रत्येक वर्ष डेढ़ से दो लाख रूपये मुनाफा कमा रही हैं.

आपको बता दें कि हल्दी एक मात्र ऐसा मसाला है जो स्वाद के लिए नहीं खाया जाता, बल्कि इम्यूनिटी पावर बढ़ाने के लिए लिया जाता है. कोरोना काल के बाद लोगों का रूझान एक बार फिर आयुर्वेद की तरफ बढ़ा है, यही वजह है कि युवा पीढ़ी को इम्यूनिटी पावर बढ़ाने के लिए हल्दी का महत्व भी अधिक समझ में आया है. लोगों के इसी रूझान को देखते हुए हापुड़ के ग्राम बहादुगढ़ की रहने वालीं मीनाक्षी भूषण हल्दी की खेती कर रही हैं. पिछले दो वर्षों से मीनाक्षी हल्दी की खेती कर रही हैं और अच्छा खासा मुनाफा भी कमा रही हैं.

ऐसे आया हल्दी की खेती करने का विचारमीनाक्षी ने बताया कि हल्दी की खेती को शुरू करने से पहले उन्होंने उद्यान विभाग के अंतर्गत आने वाले खाद्य प्रसंस्करण विभाग से अचार बनाना, मुरब्बे बनाना और मसाले की खेती के बारे में जानकारी हासिल की थी. फिर बाद में सुभाष पालेकर कृषि विधि से तथा लोक भारती संस्था की प्रेरणा से अपने ही खेत में हल्दी की खेती करनी शुरू कर दी. उन्होंने बताया कि हल्दी की खेती कर उन्होंने पहले वर्ष एक से डेढ़ लाख रूपये का मुनाफा कमाया. लेकिन इस दौरान उन्हें काफी परेशानियां भी झेलनी पड़ीं.

इतना आता है एक बीघे में खर्चमीनाक्षी भूषण ने जानकारी देते हुए बताया कि हल्दी की खेती एक ऐसी खेती है. जिसके लिए अलग से भूमि की आवश्यकता नहीं होती है. यह पेड़ों के बीच यानि गन्ना, आम और अमरूद के बीच बची हुई खाली जमीन पर की जा सकती है. हल्दी को करने के लिए कैंडल लाइट (सूर्य की ऊष्मा) की आवश्यकता होती है. किसान आसानी से एक बीघे में एक कुंतल बीज बोकर अपनी हल्दी की फसल को आसानी से लगा सकते हैं. इस बीज को लगाने में किसान की करीब 5 हजार रूपये की लागत आती है. पांच हजार ही फसल तैयार करने में आती है. हल्दी की फसल को जीवाअमृत मिलाकर और घन जीवाअमृत भूमि में मिलाकर निराई, गुणाई करके पैड बनाए जाते हैं.

काफी गुणकारी है ये हल्दीमीनाक्षी ने बताया कि अन्य फसल की छांव में तैयार होने वाली यह हल्दी की फसल किसान के लिए अतिरिक्त लाभ का काम करती है. उन्होंने बताया कि आज वह जिस हल्दी को तैयार कर रही हैं, वह काफी गुणकारी है. उसकी वजह है कि उनकी हल्दी का करक्यूमिम 7 और 7.50 के आसपास है. जबकि त्रिपुरा और मिजोरम में होने वाली हल्दी का करक्यूमिम 9 आता है, जो उनकी हल्दी से डेढ़ पर्सेंट ज्यादा है. वहीं, मार्केट में मिलने वाली हल्दी का करक्यूमिम हल्दी पर कलर फेवड़ी चढ़ा होने और अन्य मिलावट के कारण काफी कम रहता है. जिसकी वजह से हल्दी उतनी गुणकारी नहीं होती है.

हल्दी की खेती प्रति बढ़ा रुझानमीनाक्षी ने बताया कि उनके द्वारा हल्दी की खेती किये जाने के बाद जिले के अन्य किसानों का रूझान हल्दी की खेती के प्रति बढ़ा है. यही वजह है कि उन्होंने इस बार जिले के करीब एक दर्जन किसानों के यहां हल्दी के बीज की बुवाई कराई है. करीब एक वर्ष में इन किसानों के यहां हल्दी बनकर तैयार हो जाएगी और किसानों को अतिरिक्त मुनाफा हो सकेगा.
.Tags: Hapur News, Local18, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : September 19, 2023, 20:26 IST



Source link

You Missed

Congress questions PM Modi’s silence on frequent talks with Trump
Top StoriesNov 5, 2025

कांग्रेस ने ट्रंप के साथ नियमित बातचीत पर प्रधानमंत्री मोदी की चुप्पी पर सवाल उठाए हैं

कांग्रेस ने बुधवार को पूछा कि क्यों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ अपनी…

Scroll to Top