हरिकांत/आगराः रक्षाबंधन के पावन त्योहार में, हर बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर उनसे अपनी रक्षा का वादा करती है. यह त्योहार एक बहन और भाई के प्यार और संबंध का प्रतीक है, जिसे साल में एक बार मनाते हैं.रक्षाबंधन का यह त्योहार सावन पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है और हमें याद दिलाता है कि परिवार के महत्वपूर्ण बंधनों की जिम्मेदारी हम सबको साझा करनी चाहिए.पालीवाल ब्राह्मण और सिसोदिया वंश के लोग आज भी रक्षाबंधन पर राखी नहीं बांधते. इसके पीछे की एक दिलचस्प कहानी है. जहां पूरी दुनिया रक्षाबंधन मना रही है, वहीं हिंदुओं में सिसोदिया और पालीवाल ऐसी जाति भी हैं जो यह त्योहार नहीं मनाती. देश-दुनियाभर में फैले लाखों पालीवाल ब्राह्मण रक्षाबंधन नहीं मनाते हैं. इसके बजाय, वे इसे दुःख के दिन के रूप में मनाते हैं.करीब 700 साल पहले श्रावण मास की पूर्णिमा को एक जलालुद्दीन खिलजी के हमले में हजारों पालीवाल ब्राह्मण मारे गए थे. रक्षाबंधन पर पालीवाल अपने पूर्वजों को याद कर तर्पण करते हैं और धार्मिक कार्यक्रम आयोजित करते हैं. वहीं महाराणा प्रताप पर हुए हमले के शोक में सिसौदिया वंश रक्षा बंधन नहीं मनाते हैं..FIRST PUBLISHED : August 30, 2023, 22:37 IST
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