Uttar Pradesh

गोरखपुर में है भारत का सबसे बड़ा चित्रगुप्त मंदिर, 1960 में की गई थी स्थापना, जानें इतिहास



रजत भट्ट/गोरखपुर: गोरखपुर एक ऐसा शहर, जहां पूजा पाठ परंपरागत तौर पर की जाती रही है. इस शहर में मौजूद गोरखनाथ मठ साथ मे मानसरोवर मंदिर तमाम ऐसी जगह मौजूद है. जो ऐतिहासिक और धार्मिक चीजों का एहसास कराती हैं. शहर के लोग भी इन जगहों पर अपना बराबर योगदान देते है. वही गोरखपुर में एक ऐसा मंदिर मौजूद है, जो भारत का सबसे बड़ा मंदिर माना जाता है. गोरखपुर के बक्शीपुर में मौजूद चित्रगुप्त मंदिर भारत का सबसे बड़ा मंदिर है. यहां पूजा पाठ के अलावा तमाम ऐसे काम किए जाते हैं. जिससे सामाजिक तौर पर लोगों की मदद होती है. मंदिर का संचालन वहां की समिति द्वारा किया जाता है.

गोरखपुर के बक्शीपुर में मौजूद भारत का सबसे बड़ा चित्रगुप्त मंदिर है. जहां मंदिर के अंदर भगवान चित्रगुप्त विराजमान है. वही मंदिर प्रांगण में अन्य सामाजिक कार्य भी किए जाते हैं. मंदिर को कायस्थ समिति द्वारा संचालित किया जाता है. समिति के मेंबर कमला कान्त बताते हैं कि, इस मंदिर को कायस्थों के मक्का का संज्ञान दिया गया है. यह संज्ञान तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष आर. सी वर्मा जो इंदौर के थे उन्होंने इसे दिया था. वहीं इस चित्रगुप्त मंदिर में हर 2 साल पर चुनाव होता है. जिसमें अध्यक्ष और मंत्री बदले जाते हैं और वही इसका संचालन करते हैं. मंदिर में आए आर्थिक सहयोग से ही इसका संचालन किया जाता है.

20 से 25 हजार में होती है बुकिंगगोरखपुर में मौजूद चित्रगुप्त मंदिर सामाजिक तौर पर भी लोगों की मदद करता है. मंदिर के अध्यक्ष आलोक रंजन वर्मा बताते हैं कि, मंदिर की स्थापना लगभग 1960 में की गई थी. तब आम जन का भी सहयोग मिला था. वही मंदिर में एक भाग ऐसा है जहां शादी विवाह अन्य कार्यक्रम के लिए स्पेस बनाया गया है. और आम जन की सहायता इसमें की जाती है. इस महंगाई के दौर में भी महज 20 से ₹25 हजार में मंदिर के अंदर का स्पेस आम लोगों को दिया जाता है. जिससे वह अपने शादी विवाह अन्य कार्यक्रमों के लिए इस्तेमाल करते हैं. फिर उन्हीं पैसों से मंदिर का संचालन होता है.

1967 मे मूर्ति हुई विराजमानमंदिर के अध्यक्ष आलोक रंजन वर्मा बताते हैं कि, मंदिर की स्थापना 1960 में की गई थी. लेकिन मंदिर में भगवान चित्रगुप्त 1967 में विराजमान हुए थे. 7 सालों तक भगवान की मूर्ति बनाने के लिए इधर-उधर चक्कर काटने पड़े. तब जाकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गुरु अवैद्यनाथ ने खुद जयपुर जाकर मूर्ति बनवाई. फिर उन्हीं के कर कमलों द्वारा मंदिर में मूर्ति विराजमान की गई. जो अब तक यहां स्थापित है मूर्ति के साथ कोई भी छेड़छाड़ नहीं की गई ना की जाति है.
.Tags: Gorakhpur news, Local18, Uttar pradesh newsFIRST PUBLISHED : August 08, 2023, 20:56 IST



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