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Deadly Disease: Burden of lungs disease will increase in India 33 lakh people died from this disease in 2019 | Deadly Disease: भारत में बढ़ेगा इस गंभीर बीमारी का बोझ! 2019 में हुई थी 33 लाख लोगों की मौत



चीन और अमेरिका के बाद वर्ष 2020-50 तक भारत को क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) के तीसरे सबसे बड़े आर्थिक बोझ का सामना करना पड़ेगा. द लैंसेट ग्लोबल हेल्थ जर्नल में प्रकाशित नए शोध में यह अनुमान लगाया गया है. सीओपीडी फेफड़ों की बीमारियों का एक समूह है जो हवा के प्रवाह को रोकता है तथा सांस लेने में कठिनाई उत्पन्न करता है
बता दें, सीओपीडी दुनिया भर में मौत का तीसरा प्रमुख कारण है. इस वजह से 2019 में 33 लाख लोगों की मौत हुई थी, जिसमें चीन में सबसे अधिक मौतें हुई थी. उसके बाद भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका का स्थान रहा था. 2009 और 2019 के बीच सीओपीडी से वैश्विक मृत्यु दर में 14.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है.4.3 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान2020-50 के बीच 204 देशों के लिए सीओपीडी के आर्थिक बोझ की मॉडलिंग करते हुए अध्ययन में पाया गया कि इस बीमारी से विश्व अर्थव्यवस्था को 4.3 ट्रिलियन अंतर्राष्ट्रीय डॉलर का नुकसान होगा. यह वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद पर 0.11 प्रतिशत के वार्षिक कर के बराबर है. वहीं, 2019 में भारत की कुल जीडीपी का लगभग आधा है। अंतर्राष्ट्रीय डॉलर, एक काल्पनिक मुद्रा है जिसमें यूएस डॉलर की तरह क्रय शक्ति की क्षमता है.
90 फीसदी मौतें निम्न आय वाले देशों मेंसीओपीडी से संबंधित 90 प्रतिशत मौतें निम्न और मध्यम- आय वाले देशों में हुई हैं. भले ही सीओपीडी के वैश्विक आर्थिक बोझ में एलएमआईसी का हिस्सा केवल 56.4 प्रतिशत है, लेकिन अध्ययन में कहा गया है कि अगर तंबाकू कंपनियां उभरते बाजारों में जाती हैं तो यह आंकड़ा बढ़ने की संभावना है. शहरीकरण के कारण अधिक लोग वायु प्रदूषण के संपर्क में आते हैं. शुरुआती सीओपीडी जांच और पहचान से बीमारी को बढ़ने से रोका जा सकता है और स्वास्थ्य व आर्थिक बोझ को कम किया जा सकता है.



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