Conjunctivitis symptoms and prevention tips: भारत में बरसात के मौसम के बीच दिल्ली-एनसीआर, कोलकाता, वडोदरा और अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों जैसे कई शहरों में कंजंक्टिवाइटिस, आई फ्लू या पिंक आई के मामलों में वृद्धि देखी जा रही है. दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने जानकारी दी कि कंजंक्टिवाइटिस के मामले हवा में नमी के कारण सामने आ रहे हैं. हमारे अस्पताल अलर्ट पर हैं, खासकर कंजंक्टिवाइटिस, फंगल संक्रमण और वेक्टर जनित बीमारियों के मामलों को लेकर.
दिल्ली एम्स में आरपी सेंटर फॉर ऑप्थैल्मिक साइंसेज के प्रमुख डॉ. जेएस टिटियाल ने बताया कि हमें प्रतिदिन कंजंक्टिवाइटिस के कम से कम 100 मामले मिल रहे हैं. आमतौर पर कंजंक्टिवाइटिस के मामलों में मौसमी वृद्धि होती है, जो फ्लू के मौसम के साथ मेल खाता है. कंजंक्टिवाइटिस के मामले ज्यादातर वायरस के कारण होते हैं. बता दें कि दिल्ली में सरकारी और निजी दोनों अस्पताल हाई अलर्ट पर हैं. न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, दिल्ली के एक प्राइवेट आई केयर अस्पताल में कंजंक्टिवाइटिस के 1032 मामले दर्ज किए गए.क्या है कंजंक्टिवाइटिस?कंजंक्टिवाइटिस को आमतौर पर पिंक आई के रूप में जाना जाता है, जो आंखों की पलकों में संक्रमण या सूजन है. यह वायरस, बैक्टीरिया या एलर्जी के कारण हो सकता है. बैक्टीरियल और वायरल कंजंक्टिवाइटिस दोनों अत्यधिक संक्रामक हैं, जबकि एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस नहीं है. चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार, बच्चों में गुलाबी आंखें होने की संभावना अधिक होती है, क्योंकि उनका लगातार किसी व्यक्ति के साथ निकट संपर्क होता है और इसलिए भी कि वे उतने साफ-सुथरे नहीं होते हैं.
कंजंक्टिवाइटिस के लक्षण
आंखों में खुजली, धूल और पर्दे के पीछे चुभन जैसी समस्याएं हो सकती हैं
आंखों में जलन या खराश
आंखों से पानी या पस निकलना
आंखों के नीचे और आसपास की त्वचा की सूजन या लाली
आंखों में खुजली और खासतर पलकों के पास
कंजंक्टिवाइटिस से बचाव के तरीके
हाथ धोकर और साबुन या डिटर्जेंट का उपयोग करके हर बार आंखों को साफ पानी से धोएं. अलग आंखों के साथ तौलिएं को शेयर न करें
यदि कंजंक्टिवाइटिस के लक्षण दिखाई देते हैं, तो अपने आंखों को आराम दें और डॉक्टर के सलाह से उचित दवा लें.
गर्म पानी में नमक मिलाकर एक बर्तन में रखें. फिर एक छोटा का कपड़ा लें और पानी में डीप करके आंख को साफ करें. यह आंखों की खुजली और जलन को कम करने में मदद करता है.
बैक्टीरिया की चपेट में आने से बचने के लिए बिस्तर और तौलिये को बार-बार बदलें. इसके अलावा कीटाणुओं को मारने के लिए उन्हें गर्म पानी और डिटर्जेंट से धोएं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. इसे अपनाने से पहले चिकित्सीय सलाह जरूर लें. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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