Uttar Pradesh

Meerut karna was the devotee of kamakhya devi know the history and facts of shree karna temple – News18 हिंदी



विशाल भटनागर/मेरठ: पश्चिम उत्तर प्रदेश के मेरठ की बात की जाए तो वहां विभिन्न शिवालय हैं, जिनका ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व है. जहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु भोले बाबा का जलाभिषेक करने के लिए सावन के प्रत्येक दिन पहुंचते हैं. कुछ इसी तरह का इतिहास मेरठ से 40 किलोमीटर दूर हस्तिनापुर के कर्ण मंदिर से जुड़ा हुआ है. मान्यता है कि प्रतिदिन महाराज श्री कर्ण कामाख्या देवी और भगवान भोलेनाथ की विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना किया करते थे.

श्री कर्ण मंदिर के महंत शंकरदेव बताते हैं कि- कामाख्या देवी कर्ण की कुल देवी थी. महाराज कर्ण प्रतिदिन अपनी कुलदेवी कामाख्या एवं भोले बाबा की विधि विधान के साथ पूजा अर्चना करते थे. उनकी पूजा से प्रसन्न होकर ही देवी द्वारा उनको सवा मन सोना उपहार स्वरूप दिया जाता था, जिसको वह अपनी प्रजा को दान में देते थे.

इंद्रदेव ने भी ली थी परीक्षापौराणिक कथा में वर्णन है कि जब महाराज कर्ण के दान के किस्से सभी में फैलने लगे थे. तब भगवान इंद्र देव भी उनकी परीक्षा लेने के लिए धरती पर आए थे. कहा जाता है कि कर्ण के सुरक्षा कवच उनके कानों के कुंडल व कवच थे. इंद्र देव ने उनसे उनके कवच को ही दान में मांग लिया था. लेकिन दानवीर कर्ण ने बिना संकोच किए इंद्र देव को कवच और कुंडल दान कर दिए थे.

सावन को लेकर तैयारी पूरीमंदिर के महंत ने बताया कि- काफी संख्या में कांवड़िये एवं श्रद्धालु मंदिर में दर्शन करने आते हैं. इसके लिए मंदिर में पूरी तैयारी कर ली गई है, जिससे कि भोले नाथ के भक्तों को किसी भी प्रकार की परेशानी ना हो.

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दूर-दूर से पहुंचते हैं भक्तबताते चलें कि कर्ण मंदिर के पास पहले बूढ़ी गंगा होकर गुजरती थी. जिसमें कर्ण स्नान कर भोले बाबा की विधि-विधान से पूजा-अर्चना किया करते थे. आज भी हस्तिनापुर के कुछ क्षेत्र में बूढ़ी गंगा की निर्मल धारा बह रही है, जिसको पहले वाले रूप में जीवित करने के लिए प्रशासन एवं निजी विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर प्रियंक भारती लगे हुए हैं.
.Tags: Local18, Meerut news, Uttar pradesh newsFIRST PUBLISHED : July 04, 2023, 17:16 IST



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