फिलहाल पक्षी विज्ञान और बनारस की मान्यताएं अपनी-अपनी जगह हैं, लेकिन एक बात जो सच है, वह यह कि वाराणसी के घाट पर आने वाले हर किसी का दिल ये परिंदे मोह लेते हैं. नाविक शंभू साहनी के मुताबिक, हम बचपन से देखते आए हैं कि देव दीपावली से महज हफ्ते भर पहले ये परिंदे यहां आते हैं. फिर दो महीने यानी जनवरी तक काशी से ये मेहमान अपने देश लौट जाते हैं.
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