सर्वेश श्रीवास्तव/अयोध्या. अयोध्या में भगवान राम का मंदिर आकार लेने लगा है, जहां भूतल का निर्माण जुलाई तक पूरा हो जाएगा. वहीं गर्भगृह में स्थापित होने वाले रामलला की मूर्ति बनाने का कार्य शुरू कर दिया गया. लेकिन इन दिनों राम मंदिर में छत लगाने का कार्य तेजी से हो रहा है.छत में वैज्ञानिक तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है. राम मंदिर की छत में एक पत्थर को दूसरे पत्थर से जोड़ने के लिए तांबे की पट्टी का इस्तेमाल किया जा रहा है. दरअसल, अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर को वैज्ञानिक तकनीक से बनाया जा रहा है. मंदिर हजारों साल सुरक्षित रहे इसका विशेष ध्यान दिया जा रहा है.यही वजह है कि राम मंदिर की छत में तांबे का इस्तेमाल एक पत्थर को दूसरे पत्थर से जोड़ने के लिए किया जा रहा है. तांबा हजारों साल जैसे का तैसा बना रहता है. ऐसे स्थित में यदि कभी भूकंप आता है तो मंदिर की छत में लगे पत्थर एक-दूसरे से नहीं टकराएंगे. इससे मंदिर सुरक्षित रहेगा.तांबे की पत्तियों से जोड़े जा रहे पत्थरश्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि राम मंदिर की छत में दो पत्थरों को आपस में जोड़ने के लिए तांबे का इस्तेमाल किया जा रहा है. तांबे की आयु अनंत होती है. लोहा 100 साल में जंग लग कर खराब हो जाता है. लेकिन तांबा 1000 साल तक जैसे का तैसा रहेगा. इसलिए तांबे का इस्तेमाल पत्थरों को आपस में जोड़ने के लिए किया जा रहा है. ताकि जब कभी भूकंप आए तो पत्थर इधर-उधर ना जाएं..FIRST PUBLISHED : May 31, 2023, 21:01 IST
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SC on special puja issue
NEW DELHI: Expressing unhappiness over allowing paid ‘special pujas’ in temples, disrupting the “resting time” of the deity,…

