Uttar Pradesh

भोजपुरी में पढ़ें – दुनिया में सबसे ढेर आबादी हमनी के, कथी के चिंता बा!



जइसे जइसे जनसंख्या भा आबादी बढ़त जाई, हमनी के संसाधन के बंटवारा ओही अनुपात में होत जाई. आईं एगो रोचक गणित के से एकरा के समुझल जाउ. हालांकि रउरा ई गणित पहिलहीं से जानतानी. बाकिर अब एकरा के एक बार फेर समुझे के परी. काहें से कि आज 2023 में हमनी के देश के आबादी 142 करोड़ से ज्यादा हो गइल बा. अब तक चीन सबसे अधिक आबादी वाला देश कहात रहल ह. बाकिर अब हमनी के जनसंख्या चीन से भी 20 करोड़ ज्यादा हो गइल बा. जदि हमरा परिवार में दू आदमी बा आ चार बिगहा खेत बा त हर आदमी के दू- दू बिगहा मिली. भा चार बिगहा के पैदावार के मालिक दुइए आदमी होई. मान लीं लइका भइले सन, नात, नातिन भइले सन. परिवार बढ़ि के दस आदमी के हो गइल.

तरां ऊहे खेत आ पैदावार दस आदमी में बंटाई जौन पहिले दू आदमी में बंटात रहल ह. पहिले दू आदमी दू कमरा में आराम से रहत रहल ह. अब दस आदमी दू कमरा में कइसे रही, ई समस्या आई. रउरा लगे घर बनावे के पइसा बा त घर बना लेब, बाकिर जदि घर बनावे के बेंवत नइखे त दुइए कमरा में अंड़सा से रहीं. घर, बरामदा सबमें भीड़ रही. जौन आमदनी बा, ओही में कुल काम करे के परी. खाना- पीना, कपड़ा, दवाई- बीरो, लइकन के  स्कूल कालेज के फीस, नेवता- हंकारी, इज्जत- प्रतिष्ठा बचावल आ शादी- बियाह, सब संकेता में करे के परी. किराया के मकान में रहतानी त ओहू के खर्चा जोड़ लीं. अब रउरा ई कुल जिम्मेदारी हंस के पूरा करीं भा रो के पूरा करीं, करहीं के परी.

अब एही के देश के स्तर पर लिहल जाउ. जनसंख्या का हिसाब से हमनी के आमदनी, चिकित्सा, स्कूल-कालेज, नोकरी, खेत-जमीन, घर- दुआर, अनाज आ बाजार के पैमाना पर खरीद क्षमता के हिसाब संतुलित करे के परी. हमनिए में से कई लोग संतान पर संतान पैदा कइले जाता. नागरिक के रूप में अब ओकरो सतर्क हो जाए के परी. खाली सरकार के दोष दिहला से काम ना चली. नागरिक के रूप में हमनियो के कुछ जिम्मेदारी बा. हमनी के कंट्रोल अपना प्रजनन पर त कइए सकेनीं जा. एइजा सरकार कुछ ना क सकेले. अब फेर सरकारी स्कूलन के स्तर पर गौर करे के परी. हमनी का देश के आजादी के तुरंते बाद पैदा भइल रहनी जा. ओह घरी प्राइवेट स्कूल के कल्पनो ना रहे. सब सरकारिए स्कूल में जाउ. चाहे ऊ गरीब के लइका होखे भा धनी के. हमनी का एगो साधारण काठ के पटरी लेके चल जाईं जा आ भट्ठा से लिखत रहीं जा. ओह घरी शिक्षा एकदम सस्ता रहे. किताबियो सस्ता रहली सन. स्कूल में कौनो ड्रेस कोड ना रहे. बाकिर अब त सुनाता कि सरकारियो स्कूल में कुछ जगह ड्रेस कोड हो गइल बा. किताब महंग हो गइल बाड़ी सन. त अब एगो उपाय करे के परी. सिलेबस भा पाठ्यक्रम लगातार एकही राखे के परी. एकर फायदा ई होई कि विद्यार्थी सालों साल एकही किताब पढ़िहें सन आ पिछला क्लास के लइका ऊहे कितबिया सेकेंड हैंड खरीद के पढ़ि सकेले सन.

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कोलकाता में आजुओ सेकेंड हैंड किताब कालेज स्ट्रीट के विशाल किताब बाजार में मिल जाला. चाहे ऊ कौनो उपन्यास होखो भा गणित, भूगोल भा इतिहास के किताब. ड्रेस कोड भी एकही राखे के परी. हर साल लइकन के गार्जियन पर नया ड्रेस बनवावे के दबाव कम करे के परी. सरकारी स्कूल के ढांचा, मैनेजमेंट आ शिक्षा के स्तर मजबूत होई त लोग ओकरा ओर आकर्षित होइहें. अभी त केहू अपना लइका के सरकारी स्कूल में पढ़ावहीं के नइखे चाहत. सब चाहता कि प्राइवेट स्कूल में पढ़ो, काहें से कि मान्यता बा कि ओमें सरकारी स्कूल से बेहतर पढ़ाई होता. बोर्ड भी सीबीएससी वगैरह रहता.

चिकित्सा के क्षेत्र में भी विस्तार करेके परी. काहें से कि आबादी के अनुपात में डाक्टर लोग नइखन. एकरा अलावा देश में जतना इंजीनियरिंग कालेज बाड़े सन ओकरा अनुपात में मेडिकल कालेज बहुते कम बाड़े सन. त मेडिकल कालेजन के संख्या बढ़ावे के परी. सरकारी अस्पतालन के कायाकल्प करेके परी. भले पीपीपी (पब्लिक- प्राइवेट पार्टनरशिप) माडल पर विकसित होखे. बाकिर एह सुविधा के विस्तार हर जिला में कइल जरूरी बा. अच्छा त ई बा कि मेडिकल कालेज/अस्पताल हर जिला में हो जाउ. ठीक एहीतरे खाली सरकारी नोकरी के भरोसे रहल ठीक नइखे. सरकारी नोकरी मिल जाता त ठीक, नइखे मिलत त प्राइवेट नोकरी करे में संकोच ना होखे. सब केहू के त सरकारी नोकरी मिलल संभव नइखे. बिजनेस वाला दिमाग बा त नौजवान के बिजनेस में अपना के स्थापित करे के प्रयास करेके परी.

जमीन भी बंटात- बंटात कम हो जाई. अनाज के उत्पादन पर्याप्त ना होई त आयात करेके परी.  आयात कइल चीज महंग होखबे करी. त अनाज उत्पादन कइसे बढ़ी एहू पर सोचे के परी. अब “पर कैपिटा इनकम” (सकल घरेलू उत्पाद) के बात कइल जाउ. सकल घरेलू उत्पाद का ह? कौनो देश के सीमा में एगो निर्धारित समय के भीतर तैयार कुल वस्तु आ सेवा के कुल मौद्रिक भा बाजार मूल्य तना बा, एकरे नांव ह- सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी). जीडीपी कतना बा ई तय करे के जिम्मेदारी केंद्रीय सांख्यकी कार्यालय के बा, जौन सांख्यिकी आ कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के अधीन बा. ई सरकारी आफिस पूरा देश से आंकड़ा जुटावेला आ तब निर्णय करेला कि देश के जीडीपी कतना बा. जीडीपी दू तरह के होला- 1- नॉमिनल जीडीपी 2- रियल जीडीपी. नॉमिनल जीडीपी कुल आंकड़ा के मौजूदा कीमत पर योग होला, लेकिन रियल जीडीपी में महंगाई के असर के भी समायोजित क लिहल जाला. एकर अर्थ ई भइल कि मान लीं कौनो वस्तु के मूल्य में 10 रुपया के बढ़त हो गइल आ महंगाई 4 प्रतिशत बा त ओकरा रियल मूल्य में बढ़त 6 प्रतिशत ही मानल जाई. बा नू रोचक! त सकल घरेलू उत्पाद भी बढ़ावे के परी.

त शिक्षा, चिकित्सा, रोजगार, घर- जमीन, सामाजिक सुरक्षा में वृद्धि के अलावा शांति आ सौहार्द्र भी बढ़ावे के परी. शादी- बियाह से लेके तमाम सामाजिक उत्सव में खर्चा घटावे के उपाय करेके परी. आपन नागरिक कर्तव्य के याद करेके परी. काहें से कि जनसंख्या के वृद्धि के असर सबका पर परे जा रहल बा. संसाधन बढ़ाईं जा आ अपना देश के दुनिया के शिखर पर चमकत देखीं जा.

( डिसक्लेमर – लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और ये उनके निजी विचार हैं.)
.Tags: Bhojpuri article, PopulationFIRST PUBLISHED : May 16, 2023, 15:56 IST



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