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Holashtak-is-important-for-tantric-activity-do-not-do-this-auspicious-work-for-8-days – News18 हिंदी



निखिल त्यागीसहारनपुरः होली हिन्दू धर्म का प्रसिद्ध त्योहार है. यह त्योहार फाल्गुन मास में मनाया जाता है. इस दिन लोग पूजा अर्चना करके शाम को होलिका दहन करते हैं. इस पर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है. आचार्य सोमप्रकाश शास्त्री का कहना है कि होली के पर्व से एक सप्ताह पहले होलाष्टक का योग बन जाता है. इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नही किया जाता. इसलिए एक सप्ताह तक किसी भी तरह के मांगलिक कार्य निषेध रहते है.

आचार्य सोमप्रकाश शास्त्री ने बताया कि होली पर्व के 8 दिन पहले होलाष्टक का योग शुरू हो जाता है. इस काल में हर दिन अलग-अलग ग्रह उग्र रूप में होते हैं. इसलिए इस दौरान शुभ कार्य वर्जित होते हैं. हिंदू धर्म में इस अवधि का विशेष महत्व है. होलाष्टक के विषय में कई धार्मिक मान्यताएं है. कहते हैं कि होलाष्टक की शुरुआत वाले दिन ही शिवजी ने कामदेव को भस्म कर दिया था. इस साल होलाष्टक के लिए 27 फरवरी से लेकर 07 मार्च तक का योग बन रहा है.

विवाह आदि शुभ कार्य हिन्ज वर्जितआचार्य सोम प्रकाश शास्त्री ने बताया कि ज्योतिषियों का कहना है कि होलाष्टक के काल मे विवाह, मुंडन, आदि शुभ कार्य नही किये जाते. उन्होंने बताया कि जैसे पंचक के दिनों में मकान आदि का महूर्त नहीं किया जाता है. ऐसे ही होलाष्टक के काल मे मांगलिक कार्य निषेध होते हैं.

होली और होलाष्टक में अंतरआचार्य ने बताया कि होलिका देवी द्वारा प्रह्लाद जलती अग्नि में गोद मे बैठा लिया था. जिसके बाद प्रह्लाद को अग्नि भस्म नहीं कर सकी. इसलिए हिन्दू धर्म के लोग होली पर्व पर पूजा आदि करके दहन करते हैं. लेकिन होलाष्टक काल का तात्पर्य यह है कि दुल्हैडी यानी फाग से 8 दिन पहले शुभ कार्यो को निषेध करने वाले काल का आरम्भ हो जाता है. जो होलिका दहन के बाद शुभ दिन आने तक चलता है. बाद में शुभ दिन आने पर मांगलिक कार्य आरम्भ हो जाते है.

तांत्रिक क्रिया के लिए महत्वपूर्ण होता है होली पर्वआचार्य सोम प्रकाश शास्त्री ने बताया कि होलाष्टक व होली के दिनों में तांत्रिक क्रिया विशेष रुप से की जाती है. इस दौरान तंत्र, मंत्र व यंत्र आदि के लिए तांत्रिक लोग साधना करते हैं. जिससे यह लोग अपने तांत्रिक गतिविधियों को बलशाली बनाने के लिए अपने इष्ट को प्रसन्न करते हैं. उन्होंने बताया कि होलाष्टक के दिनों में विशेष रूप से महिलाएं अपने छोटे बच्चों के गले में परंपरा के अनुसार श्रृंगार, लहसुन आदि बांध देती है. जिससे बच्चे के ऊपर होलाष्टक काल में किसी तरह का दुष्प्रभाव असर ना करें.

आचार्य सोम प्रकाश शास्त्री ने बताया कि इस काल में महिलाएं चौराहों पर अपने घर व बच्चों को बुरी चीजों से बचाने के लिए हाजिरी भी देती हैं. जिसमें श्रृंगार दिया आदि रखा जाता है.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|Tags: Saharanpur news, Uttar pradesh newsFIRST PUBLISHED : February 28, 2023, 20:42 IST



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