यहां के लोगों का कहना है कि एक कुतिया इन दोनों गांवों में रहती थी, जो किसी भी आयोजन में खाने पहुंच जाती थी. एक बार रेवन गांव में भोजन का कार्यक्रम था. रमतूला की आवाज सुनते ही कुतिया खाना खाने के लिए रेवन गांव में पहुंच गई. लेकिन, वहां खाना खत्म हो चुका था. इसके बाद वह ककवारा गांव पहुंची, वहां भी खाना नहीं मिला और इस तरह वह भूख से मर गई.
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