लॉन्ग कोविड साइलेंट किलर की तरह काम कर सकता है, जिसने पिछले ढाई वर्षों में कई जिंदगियों को प्रभावित किया है. एक बार कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद, शरीर कई तरह से प्रभावित होता है. लीवर से दिल तक, कोरोना वायरस से शरीर में कई महीनों तक बड़ी हेल्थ कॉम्प्लिकेशन हो सकती हैं. इसे ही लॉन्ग कोविड के नाम से जाना जाता है.
हाल के एक अध्ययन के अनुसार, शोधकर्ताओं ने कहा कि कोरोना वायरस से संक्रमित होने वाले कुल लोगों में से लगभग 71 प्रतिशत गंभीर चिकित्सा आवश्यकताओं के साथ लॉन्ग कोविड से भी डायग्रोस हुए. अध्ययन में आगे कहा गया है कि 70 प्रतिशत आबादी भी लगभग छह महीने या उससे अधिक समय तक काम नहीं कर सकती है.
यूएस-आधारित शोधकर्ताओं का अनुमान है कि दुनिया भर में दर्ज किए गए 651 मिलियन (65.10 करोड़) कोविड मामलों में से 10 प्रतिशत में स्थिति मौजूद है. आइए इस लंबे COVID को विस्तार से समझते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने लॉन्ग कोविड की एक परिभाषा प्रकाशित की, लेकिन ग्लोबल हेल्थ बॉडी ने कहा कि लॉन्ग कोविड का उचित डायग्रोस अभी भी कई देशों में एक चुनौती है.
लॉन्ग-कोविड क्या है?विशेषज्ञों के अनुसार, जो लोग कोविड का शिकार हो जाते हैं और उसके बाद 6 महीने से अधिक समय तक संक्रमण से लॉन्ग टर्म प्रभाव का अनुभव करते हैं. इसे ही पोस्ट-कोविड कंडीशन (पीसीसी) या लॉन्ग-कोविड कहा जाता है. हाल ही में प्रकाशित हुए एक अध्ययन में विशेषज्ञों ने चेतावनी दी थी कि कोरोना मरीजों में संक्रमण के कारण होने वाली विभिन्न जटिलताओं के कारण 18 महीने तक मृत्यु का खतरा रहता है.
लॉन्ग-कोविड के लक्षण सांस फूलना, खांसी, थकान, जोड़ों में दर्द, नींद में समस्या, ब्रेन फॉग और मसल्स में दर्द लॉन्ग-कोविड के लक्षण हो सकते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. इसे अपनाने से पहले चिकित्सीय सलाह जरूर लें. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
भारत की पहली पसंद ZeeHindi.com – अब किसी और की ज़रूरत नहीं.
9 Out of 10 International Trips From India in 2025 Led by Millennials and Gen Z: Report
New Delhi: Delhi Education Minister Ashish Sood on Friday announced that air purifiers will be installed in 10,000…

