रिपोर्ट- शाश्वत सिंहझांसी. जिले के उल्दन गांव में एक ऐतिहासिक फैसला लिया गया है. उल्दन गांव के अहिरवार समाज ने यह तय किया है की परिवार के किसी सदस्य की मौत के बाद त्रयोदशी पर आयोजित होने वाले मृत्यु भोज का आयोजन नहीं करेंगे. गांव की कुल आबादी लगभग 11 हजार है. जिसमें अहिरवार समाज की संख्या 4 हज़ार के आस पास है. समाज ने यह भी तय किया है कि जो लोग इस बात को नहीं मानेंगे उन पर दंड लगाया जाएगा और उन्हें समाज से बहिष्कृत भी किया जा सकता है.समाज ने निर्णय क्यों लिया इस बात को जानने के लिए न्यूज़ 18 लोकल ने स्थानीय लोगों से बात की. गांव में रहने वाले एक बुजुर्ग कालूराम ने बताया कि गांव में कई ऐसे मामले हुए जब 20 से 35 साल के एक लड़के की दुर्घटना में या किसी बीमारी से मृत्यु हो गई. वहीं परिवार का पूरा पैसा इलाज कराने में ही खर्च हो गया. परिवार के लोग कंगाल हो गए. इसके बाद भी परिवार पर त्रयोदशी का भोज कराने का दबाव था. ऐसे एक दो नहीं अन्य लोगों के साथ भी हुआ है. इसके लिए कई लोगों को कर्ज तक लेना पड़ा किसी को तो जमीन भी बेचनी पड़ी थी. ऐसे में इस कुप्रथा को खत्म करने के लिए ऐसा नियम बनाया गया.चलाया जाएगा अभियानइस कुप्रथा को बंद करने को लेकर कई लोग सही बता रहे हैं तो कुछ लोग इसका विरोध कर रहे हैं. इस पहल का समर्थन करने वाले भगवत पेशे से किराना की दुकान चलाते हैं. उनका कहना है कि तेरहवीं भोज के लिए लोग जितना सामान उनसे खरीद कर ले जाते वहीं उस पर आसानी से चार से पांच हजार रुपए की बचत हो ही जाती थी. इसके बावजूद वे इस प्रथा को बंद करने के समर्थन में हैं. वहीं दयाराम वर्मा ने कहा कि उल्दन में चार मोहल्ले हैं. जिनमें अहिरवार समाज के लोग बड़ी संख्या में रहते हैं. सभी के साथ मीटिंग की गई है और सबने इसका समर्थन किया है. कुछ लोग जो असहमत हैं उनसे भी बात की जा रही है. इसके साथ ही अब इस अभियान को अन्य गांव तक ले जाया जाएगा. वहां भी लोगों को जागरूक किया जाएगा और इस कुप्रथा को पूरी तरह बंद करने की कोशिश की जायेगी.ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|FIRST PUBLISHED : January 26, 2023, 15:45 IST
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