Uttar Pradesh

बिहार-टू-बलिया: सड़क पर फर्राटा भरने के बजाए नाव का सहारा लेते हैं सीवान-छपरा समेत कई जिलों के लोग, जानें वजह



रिपोर्ट: अंकित कुमार सिंह

सीवान. बिहार के सीवान में आजकल लोग सड़क के बजाए नाव से सफर करने को तबज्जो दे रहे हैं. इससे नाव चालकों की आय बढ़ने लगी है. दरअसल नाव से सफर करने की वजह से लोगों का समय भी बच रहा है. इसे आप अजूबा कह सकते हैं, लेकिन सीवान में आजकल ऐसा ही हो रहा है. नाव से सफर सिर्फ सीवान के ही नहीं बल्कि छपरा, गोपालगंज, बेतिया और मोतिहारी जिले के लोग भी कर रहे हैं.

दरअसल उत्तर प्रदेश के बलिया जाने के लिए लोग अधिकतर नाव के ही सहारा लेते हैं, क्योंकि सड़क मार्ग से काफी दूरी तय करनी पड़ती है और समय भी लगता है. हालांकि सीवान के दरौली पंच मंदिरा घाट से नाव से दूरी तय करने पर मात्र 30 मिनट में ही 5 किलोमीटर की दूरी तय कर उत्तर प्रदेश के बलिया खरीद घाट पहुंच जाते हैं. इससे 50 किलोमीटर की दूरी कम हो जाती है और लोग खरीद घाट से बलिया चले जाते हैं.

पंच मंदिरा घाट से रोजाना तीन स्टीमर का होता है परिचालनसीवान मुख्यालय से लगभग 35 किलोमीटर दूर सरयू नदी के तट पर दरौली प्रखंड बसा है. दरौली के पंच मंदिरा घाट और शिवाला घाट से तीन स्टीमर का परिचालन प्रतिदिन होता है. जहां से स्ट्रीमर के जरिए सफर आए दिन सैकड़ों लोग सफर करते हैं. नाव पर ही लोगों के साथ-साथ उनकी बाइक, साइकिल और समान लोड हो जाता है. आधे घंटे के पश्चात यात्री दरौली के विभिन्न घाटों से उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के खरीद घाट पहुच जाते हैं. जहां से अपनी बाइक या सवारी गाड़ी पकड़कर बलिया चले जाते हैं.

प्रत्येक व्यक्ति का 20 रुपए लगता है किरायादरौली के विभिन्न घाटों से स्टीमर से सफर करने के लिए 20 रुपए किराया देना पड़ता है. वही, वाहन के लिए अलग से 20 रुपए ही निर्धारित किया गया है. इस तरह 20 रुपए में 5 किलोमीटर की दूरी तय कर यात्री बिहार के सीवान जिले के दरौली घाट से उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के खरीद घाट आसानी से पहुंच जाते हैं.

जाते हैं 30 मिनट में, आते हैं 60 मिनट में दरौली घाट से चलने वाली स्ट्रीमर 30 मिनट में 5 किलोमीटर की दूरी तय कर उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के खरीद घाट पहुंचा देती है. जिससे लोगों को काफी सहूलियत होती है और यात्री आराम से सफर तय कर बलिया चले जाते हैं. वहीं वापसी में स्टीमर को लौटने में 1 घंटे से भी अधिक का वक्त लग जाता है, क्योंकि स्टीमर को पानी के बहाव के विपरीत चलना होता है.

सड़क मार्ग से 120 किलोमीटर की दूरी करनी पड़ती है तयसीवान जिले के लोगों को उत्तर प्रदेश के बलिया पढ़ाई, शादी, व्यापार व व्यवसाय सहित अन्य कार्यों के लिए अक्सर जाना पड़ता है. बाढ़ के वक्त नाव के परिचालन बंद होने से उन्हें सड़क से जाना पड़ता है. जिस वजह से लोगोंको सीवान से 120 से 130 किलोमीटर की दूरी तय करना पड़ता है. लोग सीवान -मैरवा मुख्य मार्ग, मैरवा-गुठनी मुख्य मार्ग होते हुए बिहार के श्रीकरपुर चेक पोस्ट व मेहरौना पुल पार कर उत्तर प्रदेश पहुंचते हैं. वहां से उत्तर प्रदेश के मुख्य मार्ग जाना पड़ता है. वहीं, दूसरा मार्ग सीवान से छपरा और छपरा से जय प्रभा बलिया-छपरा सेतु पार कर उत्तर प्रदेश के बलिया जाना पड़ता है. इसके लिए लोगों को 150 से 160 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है.सीवान से सरयू नदी पार करने से घट जाती है बलिया की दूरीसीवान जिले के दरौली घाट से सरयू नदी पार कर जाने पर उत्तर प्रदेश के बलिया की दूरी मात्र 70 किलोमीटर रह जाती है. साफ है कि 50 से 60 किलोमीटर की दूरी कम हो जाती है. यात्री सबसे पहले मैरवा-सीवान-मुख्य मार्ग होते हुए मैरवा धाम, मैरवा धाम से मैरवा-दरौली मार्ग होते हुए लोग दरौली घाट पहुंचते हैं. जहां मात्र 30 मिनट में नाव से 5 किलोमीटर दूरी तय कर बलिया के खरीद और खरीद घाट से 45 मिनट में वह बलिया घाट पहुंच जाते हैं. यही वजह है कि बलिया जाने के लिए सिर्फ सीवान के ही लोग नहीं बल्कि सीवान, छपरा, गोपालगंज, बेतिया और मोतिहारी के लोग भी सीवान के दरौली घाट से ही बलिया जाने के लिए नाव से सफर करते हैं.

दुर्घटना की बनी रहती है आशंकावैसे सरयू नदी में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होने पर स्ट्रीमर के परिचालन पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया जाता है. बावजूद इसके लोगों को खतरा बना रहता है कि कहीं बीच नदी में नाव न पलट जाए. हालांकि अभी तक ऐसी कोई घटना नहीं घटी है. लोग बताते हैं कि 2011 से ही यहां नाव चलती है. बीच में कुछ समय के लिए बंद थी. हालांकि पुनः 2016 से लगातार नावों का परिचालन सरयू नदी में हो रहा है. केवल बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होने पर जिला प्रशासन के आदेश के उपरांत परिचालन बंद रहता है.
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