Uttar Pradesh

रिटायरमेंट के बाद सहारनपुर में शुरू की जैविक खेती, अब कमा रहे लाखों रुपए, पढ़िए स्टोरी



रिपोर्ट – निखिल त्यागी

सहारनपुर: जैविक खेती में केमिकल का इस्तेमाल नहीं किया जाता और कम लागत में गुणवत्तापूर्ण पैदावार होती है. जैविक खेती में केमिकल फर्टिलाइजर पेस्टिसाइड की बजाए. गोबर की खाद कंपोस्ट खाद जैविक खाद आदि की मदद से खेती की जाती है. जैविक खेती हमारे पूर्वजों द्वारा अपनाया गया एक प्राकृतिक खेती का तरीका था. जिसके अनुसार खेती करने से पदार्थो कि गुणवत्ता बरकरार रहती थी. हमारे खेती के तत्व जैसे की जल, भूमि, वायु और वातावरण में कोई प्रदूषण नहीं फैलता था.रिटायर फारेस्ट रेंजर आदित्य त्यागी सहारनपुर के निकट मेरवानी गांव के रहने वाले है. रिटायर होने के बाद खाली बैठना रेंजर को अच्छा नहीं लगता था. रोज नए नए आइडियाज सोचते रहते थे. रेंजर का अपने बेटे के पास तुर्की जाना हुआ. वहा से इंटली घूमने गए. इटली में फॉरेस्ट रेंजर ने देखा कि लोग कितने अच्छे तरीके से वहां पर खेती करते हैं. वहीं से आदित्य को आइडिया मिला क्यों ना मैं सहारनपुर में नई तकनिकी से जैविक खेती करू.सहारनपुर आकर आदित्य ने जैविक सब्जी के साथ साथ काला धान और काला गेहूं की खेती शुरू की. काले गेहूं के बहुत ज्यादा बेनिफिट्स होते हैं. आदित्य ने बताया की लोगों को काले गेहूं और काले धान की जानकारी कम है. बहुत कम लोग इसके बारे में जानते हैं.

जानिए सालाना इनकमआदित्य ने बताया कि शुरुआत में 1 साल तो इतना प्रोडक्शन नहीं होता. थोड़ी मेहनत भी ज्यादा रहती है. लेकिन दूसरे और तीसरे साल में पूरा फायदा मिलता है .अगर नॉर्मल गेहूं ₹3000 कुंटल बिकता है तो जेविक गेहूं 4500 से 5000 रुपए कुंटल बिक जाता है. किसान भाई आमदनी को लेकर सोचते हैं कि इस काम को करके आमदनी कम हो जाएगी. लेकिन ऐसा नहीं है.

आदित्य कहते हैं कि आमदनी आम खेती से ज्यादा है. लगभग 25 लाख के करीब सालाना टर्नओवर है. अगर बचत की बात करें तो वह लगभग 14 से 15 लाख- रुपये के आसपास है. यह आमदनी बहुत ज्यादा जमीन से नहीं सिर्फ 17- 18 बीघा जमीन से ही इतनी आमदनी हो जाती है.देसी गाय के गोबर से बनाते हैं खादआदित्य ने बताया कि उन्होंने देसी गाय पाली हुई है. जिसके गोबर से वह केंचुए की खाद बनाते हैं. देसी गाय के गोमूत्र का इस्तेमाल वह इंसेक्टिसाइड में दवाई बनाने के लिए करते हैं. उसी गाय के गोबर में सरसों की खल मिलाकर फिश फीड भी बना रहे हैं. अब आगे गाय के गोबर से धूप बत्ती बनाने की भी शुरुआत करेंगे, क्योंकि गाय के गोबर और धूपबत्ती की डिमांड आजकल ज्यादा है. गाय के गोबर के उपले बनाकर ऐमेज़ॉन और अन्य ई-कॉमर्स वेबसाइट पर सेल भी किए जा सकते हैं. इससे गांव के कुछ लोगों को रोजगार भी मिलेगा. खरीददार को सही चीज भी उपलब्ध होगी.फिश फार्मिंग बायोफ्लेक्स टेक्नोलॉजीबायो फ्लॉक फार्मिंग आदित्य पिछले 5 साल से कर रहे हैं. काफी लोगों को ट्रेनिंग देकर जागरूक भी कर चुके हैं. नई तकनीक के साथ फार्मिंग करने से जितनी प्रोडक्शन एक बीघा जमीन में की जाती है. इसमें प्रोडक्शन 1 बीघा जमीन में होने वाली प्रोडक्शन से ज्यादा हो जाती है. जिससे कम एरिया में ज्यादा काम किया जा सकता है. आदित्य ने बताया कि वह 2 तरह की मछली का उत्पादन अपने फार्म में कर रहे हैं. जिनका नाम सिंगरी और पन्गास है.

इंडोनेसिया से ली ट्रेनिंगआदित्य ने इंडोनेशिया से मछली पालन करने की ट्रेनिंग ली. 7 दिन की ट्रेनिंग में काफी कुछ नया सीखने को मिला. आदित्य ने कहा कि किसानों की आय इस काम को करने के बाद दोगुनी नहीं 10 गुनी हो सकती है.

ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|Tags: Farmer Organization, Farmer story, Farming in India, Saharanpur news, UP newsFIRST PUBLISHED : November 28, 2022, 16:48 IST



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