Uttar Pradesh

MEERUT: जानिए कैसे गधे ने पूरी की पुल बनाने की शर्त, जिसके बाद CCSU में निकाली गई उसकी बारात



रिपोर्ट : विशाल भटनागर
मेरठ. अभी तक आपने इनसानों की बारात का लुत्फ लिया होगा. लेकिन हम आपको बताने जा रहे हैं कि मेरठ में गधे की बारात निकाली गई और बारातियों ने जमकर डांस किया. बिल्कुल सही पढ़ा आपने, यह बारात मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में निकाली गई थी.

आप सोच रहे हो ऐसा कैसे या क्यों हुआ होगा. तो बता दें कि चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में मेरठ रंगमंच और हिंदी विभाग ने एक नाटक का मंचन किया. नाटक का नाम था ‘गधे की बारात’. इस नाटक के लेखक हैं हरिभाई वडकर. हास्य-व्यंग्य से भरे इस नाटक में पूरे विधि विधान के साथ एक गधे की शादी एक स्त्री से कराई गई.

शादी के बाद गधा बना इंसान

नाटक के निर्देशक ओडी राजपूत ने News18 local को बताया कि नाटक की कहानी पृथ्वी और स्वर्ग लोक के बीच घूमती है. स्वर्ग लोक में इंद्रदेव ने रंभा को हाथ लगाने की वजह से राजा चित्रसेन को श्राप दिया. श्राप के असर से राजा चित्रसेन धरती पर जाकर गधा बन जाते हैं. लेकिन बृहस्पति देव ने इस श्राप से मुक्ति का उपाय बताने के लिए इंद्रदेव से आग्रह किया. तब इंद्रदेव कहते हैं कि इसकी शादी पृथ्वी पर जब किसी कन्या से होगी तो यह गधे से इनसान बन जाएगा.

गधे ने ऐसे पूरी की शर्त

इस नाटक में हास्य के पुट तो थे ही, जबर्दस्त ढंग से वर्तमान समय की स्थितियों पर कटाक्ष भी था. नाटक के बदलते घटनाक्रमों में जब पृथ्वी लोक का दृश्य आता है तो पता चलता है कि यहां एक राजा की बेटी ने शर्त रखी है कि जो कोई भी रातों-रात एक पुल का निर्माण कर देगा, उसके साथ ही वह शादी करेगी. इस शर्त को सुनकर तमाम लोगों के हौसले पस्त हो जाते हैं. कोई भी शख्स राजकुमारी के पास शादी का प्रस्ताव लेकर नहीं आता. इस बीच गधा बने चित्रसेन ने अपने मालिक से कहा कि वह उसकी शादी का प्रस्ताव लेकर राजकुमारी के पास जाए. इसके बाद ही नाटक में यह अनोखा नजारा देखने को मिला. हालांकि फेरे पड़ने के बाद राजा चित्रसेन इंद्रदेव के शाप से मुक्ति पाता है और वह गधा से इनसान बन जाता है.

नाटक के कलाकार

मेरठ रंगमंच की ओर से मंचित नाटक के दौरान हॉल में ठहाके गूंजते रहे. कलाकारों के दमदार अभिनय ने पात्रों को जीवंत बना दिया. इस नाटक में इंद्र की भूमिका राकेश कपूर ने निभाई, जबकि कल्लू कुम्हार के रूप में ओडी राजपूत थे. गंगी के रूप में सीमा समर, चित्रसेन के रूप में रजत बत्रा, राजा के चरित्र में विशाल गौड़, राजकुमारी के रूप में शुभांगी शर्मा ने दमदार अभिनय का परिचय दिया. राजा के दीवान के रूप में मनमोहन भल्ला थे जबकि बृहस्पति देव के रूप में संजीव कर्दमवाल. इस नाटक में देवता और पंडित की दोहरी भूमिका भारत भूषण शर्मा ने निभाई. इंद्र की सभा के द्वारपाल और डुग्गीबाज के दोहरे चरित्र में मयंक वैद्य दिखे. राजकुमारी की बुआ का चरित्र जीया सीमा मित्तल ने, जबकि शापित गधा चित्रसेन के चरित्र को जीवंत किया रूपेश पहलवान ने. अप्सरा रंभा के रूप में खुशी मलहोत्रा के क्लासिकल डांस को लोगों ने खूब पसंद किया. मंचन के दौरान लाइट और साउंड इफेक्ट संभव का था, जबकि वेषभूषा की जिम्मेवारी मधु कपूर और उमेश कपूर ने निभाई. पात्रों का मेकअप आबिद सैफी ने किया और स्टेज डेकोरेशन शाहिद गोरी के जिम्मे था. इस पूरे कार्यक्रम का संचालन रंगमंच की सदस्य जूही त्यागी ने किया. कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि मेरठ-हापुड़ लोकसभा सांसद राजेंद्र अग्रवाल उपस्थित रहे.ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|Tags: Art and Culture, Meerut news, UP newsFIRST PUBLISHED : October 24, 2022, 14:53 IST



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