रिपोर्ट – शाश्वत सिंहझांसी: आज के समय में रामलीलाओं का मंचन आधुनिक होता जा रहा है. वीएफएक्स और टेक्नोलॉजी के माध्यम से रामलीला को दर्शकों के लिए आकर्षक बनाने की भरपूर कोशिश की जाती है.लेकिन आधुनिकता के इस दौर में आज भी एक ऐसी रामलीला है जिसने परंपराओं को जीवित रखा हुआ है.झांसी के सदर बाजार में आयोजित की जाने वाली रामलीला में आज भी पारंपरिक तरीकों से ही लीलाओं का मंचन किया जाता है.वर्ष 1925 से शुरु हुई यह रामलीला आज भी झांसी वालों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई है.पारंपरिक तरीकों से होती है रामलीला98 वर्ष बीत जाने के बाद भी मंच पर पारंपरिक तरीके से ही रामलीला का मंचन किया जाता है.मंच पर एलईडी स्क्रीन की जगह रंगीन परदों का इस्तेमाल किया जाता है.आज भी डायलॉग मंच के पीछे से संचालक बोलता है और कलाकार सिर्फ हावभाव की मदद से वह दृश्य दिखाते हैं. इसके साथ ही आज भी मंच पर महिलाओं का पात्र भी पुरूषों द्वारा निभाया जाता है. दर्शकों को बांधे रखने के लिए रामलीला मंचन के बीच में कुछ मनोरंजक नाटक भी किए जाते हैं. रात 9 बजे के बाद शुरु होने वाली यह राम लीला 12 बजे तक चलती है. यहां बाहर से कलाकारों को बुलाने के बजाए क्षेत्र के नागरिकों और बच्चों द्वारा ही रामलीला का पूरा मंचन किया जाता है.कोरोना काल में भी आयोजित हुई थी रामलीलारामलीला मंचन की समिति के सदस्य मुकेश ने बताया कि पिछले 98 सालों से सदर बाजार रामलीला का मंचन किया जा रहा है.कोरोना काल में भी यह रामलीला अनवरत चलती रही.आधुनिकता के दौर में लोगों को अपनी परंपराओं से जोड़े रखने की कोशिश रामलीला समिति द्वारा हमेशा की जाती है.दशहरे के दिन तक हर रोज रात 9 से 12 तक इस रामलीला का मंचन किया जाता है.ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|FIRST PUBLISHED : September 27, 2022, 17:15 IST
Source link

बाराबंकी में 40 साल बाद न्याय, जिलाधिकारी की पहल से खत्म हुआ चकबंदी विवाद, जानें पूरा माजरा
Last Updated:September 19, 2025, 00:14 ISTBarabanki News: उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में इंसाफ की एक अनोखी मिसाल देखने…