लखनऊ. उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2022 (Uttar Pradesh Assembly Election 2022) को लेकर चुनावी सरगर्मियां बढ़ती जा रही हैं. कहते हैं दिल्ली का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर जाता है, यानी जो उत्तर प्रदेश जीतेगा वह लोकसभा में भी मजबूत रहेगा. योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के नेतृत्व में सत्ताधारी बीजेपी (BJP) को पिछली बार की तरह प्रचंड जीत हासिल करना बहुत जरूरी है. यदि पार्टी यूपी में प्रचंड जीत हासिल नहीं कर पाई तो 2024 के लोकसभा चुनाव में जीत की चुनौती कठिन हो जाएगी.
इसके कारण देश की सबसे बड़ी और केंद्र के साथ-साथ सबसे अधिक राज्यों में सत्ता पर काबिज सियासी पार्टी यूपी में चुनाव जीतने के लिए रणनीति पर काम कर रही है. इसी रणनीति के तहत बीजेपी छोटे छोटे दलों के सहयोग से 2022 के विधानसभा चुनाव में बड़ी मजबूती हासिल करने की तैयारी कर रही है. पार्टी के प्रदेश कार्यालय पर यूपी के छोटे-छोटे राजनीतिक दलों ने बीजेपी को समर्थन देने की घोषणा की है. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष स्वतन्त्र देव सिंह (Swatantra Dev Singh) ने प्रेस कांफ्रेंस कर इसकी घोषणा की है.
हिस्सेदारी मोर्चा में अपना दल बी, मानव समाज पार्टी, शोषित समाज पार्टी, पृथ्वीराज जनशक्ति पार्टी, भारतीय सुहेलदेव जनता पार्टी ने बीजेपी को समर्थन देने की घोषणा की है. इसके अलावा मुसहर आंदोलन मंच गरीब पेटी, मानव समाज पार्टी, भारतीय समता समाज पार्टी, प्रगतिशील समाज पार्टी दलों ने 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को समर्थन देने की घोषणा की है.
2014 के लोकसभा चुनाव और 2017 के विधानसभा चुनाव में यूपी में बीजेपी की प्रचंड जीत के नायक रहे केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह 29 अक्टूबर को लखनऊ के दौरे पर आ रहे हैं. वे बीजेपी के सदस्यता अभियान का शुभारंभ कर पार्टी मुख्यालय में संगठन की चुनावी तैयारियों का जायजा लेंगे. वे बतौर गृहमंत्री पहली बार लखनऊ के पार्टी कार्यालय आ रहे हैं.
दूसरी तरफ सपा भी छोटे दलों से गठबंधन कर रही है. सुभासपा यानी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SUBHASP) के 19वें स्थापना दिवस पर बुधवार को मऊ में ‘महापंचायत’ का आयोजन किया गया है. समाजवादी पार्टी (SP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) कार्यक्रम के मुख्य अतिथि हैं. इस महापंचायत में अखिलेश यादव और सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर (Omprakash Rajbhar) ने अपने गठबंधन का ऐलान कर दिया. वे अपने साथ कुछ और छोटे दलों को जोड़ना चाहते हैं.
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इस राजभर और अखिलेश के बीच गठबंधन से पूर्वांचल की दो दर्जन सीटों पर समीकरण बदल सकते हैं. 2017 में बीजेपी के साथ गठबंधन कर एसबीएसपी ने पूर्वांचल की 8 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें से 4 में उसे जीत मिली थी. वहीं अन्य चार सीटों पर कड़ा मुकाबला हुआ था. जानकार यह भी मानते हैं कि राजभर वोट बैंक का पूर्वांचल की 100 सीटों पर असर है, जिनमें वाराणसी, ,आजमगढ़, गाजीपुर और मऊ की सीटें शामिल हैं.पढ़ें Hindi News ऑनलाइन और देखें Live TV News18 हिंदी की वेबसाइट पर. जानिए देश-विदेश और अपने प्रदेश, बॉलीवुड, खेल जगत, बिज़नेस से जुड़ी News in Hindi.
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