Uttar Pradesh

Gyanvapi Case: जानें किस आधार पर कोर्ट ने माना कि इस मामले की सुनवाई में प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट बाधक नहीं



वाराणसी. ज्ञानवापी-शृंगार गौरी केस में वाराणसी जिला अदालत ने हिंदू पक्ष की याचिका स्वीकार कर ली है. मामले में फैसला सुनाते हुए जिला जज एके विश्वेश की एकल पीठ ने केस को सुनवाई योग्य माना. अदालत ने मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि मुकदमा विचारणीय है. मामले की अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी. इस मामले में मुस्लिम पक्ष ने साल 1991 के वर्शिप एक्ट के तहत दलील पेश कर परिसर में दर्शन-पूजन की अनुमति पर आपत्ति जताई थी. वहीं हिंदू पक्ष का कहना था कि शृंगार गौरी में दर्शन-पूजन की अनुमति दी जाए.
कोर्ट ने लिखित आदेश में कहा कि प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट को लेकर दी गई मुस्लिम पक्ष की दलील वाजिब नहीं है. याचिकाकर्ता सिर्फ ज्ञानवापी के अंदर पूजा अर्चना की इजाज़त मांग रहे हैं. उनका कहना है कि साल 1993 तक वो वहां पर माँ श्रृंगार गौरी देवी, भगवान गणेश, हनुमानजी की पूजा अर्चना करते रहे हैं. ये साल 1993 के बाद हुआ, जब प्रशासन ने हर दिन पूजा अर्चना को बैन कर दिया और साल में सिर्फ एक ही दिन ( वासंतिक नवरात्र के चौथे दिन) ही पूजा अर्चना की इजाजत देना शुरू किया.
यानि 15 अगस्त 1947 (प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट की कट ऑफ डेट) के काफी बाद तक भी इस विवादित जगह पर वे अपने आराध्य देवों की पूजा अर्चना करते रहे. कोर्ट ने कहा याचिकाकर्ताओ ने जमीन पर मालिकाना हक का कहीं कोई दावा नहीं किया है और ना ही उन्होंने इस जगह को मंदिर घोषित करने के लिए दावा किया है. लिहाजा इन दलीलों के मद्देनजर प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट इस केस की सुनवाई में बाधक नहीं है.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |Tags: Gyanvapi Masjid Controversy, UP news, Varanasi newsFIRST PUBLISHED : September 12, 2022, 17:10 IST



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