रिपोर्ट: आदित्य कुमार
नोएडा. पीरियड्स यानी माहवारी एक ऐसा विषय है,जिसके बारे में आज भी हमारे समाज में खुलकर बात नहीं की जाती है. हम लोग भले ही 21वीं सदी और खुद को विकसित होने का दावा कर लें, लेकिन महिलाओं के होने वाले पीरियड्स को लेकर हमारी सोच आज भी पुरानी है. आज भी पीरियड्स के संबंध में लोगों का ज्ञान आधा-अधूरा ही है.
मासिक धर्म के बारे में बात करना आज भी टैबू माना जाता है. जबकि इसको लेकर लोगों के बीच काफी भ्रम फैला हुआ है. इसी भ्रम को तोड़ने का जिम्मा उठाया है प्रगति और नेहा ने. पहली बार मासिक धर्म कब होता है, क्या करें इसके बाद की कहानी कोई नहीं बताता. नहीं, इसको लेकर कोई कुछ बात करता, लेकिन प्रगति और नेहा एनसीआर के स्कूलों में घूम-घूम कर बच्चियों को इस विषय पर जागरूक करने की कोशिश कर रही हैं.
स्कूली बच्चियों से करती हैं बातप्रगति सामाजिक कार्यकर्ता हैं और महिला स्वास्थ्य संबंधित विषय पर लोगों को जागरूक करती हैं. प्रगति सेवा इंटरनेशनल संस्था से भी जुड़ी हुई हैं. वो बताती हैं कि अक्सर आप ने सरकारी आंकड़ों में सुना होगा, कक्षा छह के बाद स्कूलों में लड़कियों की संख्या घट जाती है. इस घटती हुई संख्या का एक कारण ‘मेंसुरेशन हाइजीन’ को भी माना जाता है. हम दिल्ली एनसीआर के सरकारी स्कूलों में जाकर 11 साल से 15 साल तक की बच्चियों को मासिक धर्म से जुड़ी हाइजीन से जुड़ी नियमों के बारे में जागरूक करते हैं. हम उन्हें अपनी कहानी बताते हैं कि हमारे साथ जब पहली बार ऐसा हुआ था तो हमने क्या किया? उसके बाद वो हमसे खुलती जाती हैं.
गुड टच और बैड टच की भी ट्रेनिंगनेहा बताती हैं कि हमने अब तक दिल्ली एनसीआर के 12 स्कूलों में लगभग 1500 बच्चियों को यह सेशन दिया है. हमारे टीम में स्टूडेंट्स, जॉब करने वाले लोग भी हैं, जो समय निकाल कर स्कूलों में जाते हैं. इतना ही नहीं गुड टच और बेड टच भी स्कूल के सभी बच्चों को बताते हैं.ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |Tags: Delhi-NCR News, Noida newsFIRST PUBLISHED : September 05, 2022, 11:50 IST
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