Uttar Pradesh

Janmashtami 2022: जन्माष्टमी पर पढ़ें हफ़ीज़ जालंधरी की नज़्म ‘कृष्ण कन्हैया’



हाइलाइट्सजन्माष्टमी पर मंदिरों की भव्य सजावट की जाती है.कई रचनाकारों ने श्रीकृष्ण के रूप का बखान किया है.Janmashtami 2022: हिंदू धर्म में जन्माष्टमी का खास महत्व है. हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल कृष्ण जन्माष्टमी भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में मनाई जाती है. साल 2022 में कृष्ण जन्माष्टमी 18 या 19 अगस्त को मनाई जाएगी. इस दिन भगवान कृष्ण के भक्त व्रत का संकल्प लेते हैं और प्रभु की भक्ति में लीन हो जाते हैं. चालीसा, आरती, भजन, स्तुति और मंत्र आदि का जाप कर माधव को प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं. इस दिन मंदिरों की सजावट देखने लायक होती है.
श्रीकृष्ण के ऊपर कई सारे मशहूर कवियों और रचनाकारों ने रचनाएं लिखीं. कई रचनाकारों ने श्रीकृष्ण के रूप का बखान किया है. आज पढ़ें हफ़ीज़ जालंधरी की नज़्म ‘कृष्ण कन्हैया‘
कृष्ण कन्हैया- हफ़ीज़ जालंधरी

ऐ देखने वालोइस हुस्न को देखोइस राज़ को समझोये नक़्श-ए-ख़यालीये फ़िक्रत-ए-आलीये पैकर-ए-तनवीरये कृष्ण की तस्वीरमअनी है कि सूरतसनअ’त है कि फ़ितरतज़ाहिर है कि मस्तूरनज़दीक है या दूरये नार है या नूर
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दुनिया से निरालाये बाँसुरी वालागोकुल का ग्वालाहै सेहर कि एजाज़खुलता ही नहीं राज़क्या शान है वल्लाहक्या आन है वल्लाहहैरान हूँ क्या हैइक शान-ए-ख़ुदा हैबुत-ख़ाने के अंदरख़ुद हुस्न का बुत-गरबुत बन गया आ करवो तुर्फ़ा नज़्ज़ारेयाद आ गए सारेजमुना के किनारेसब्ज़े का लहकनाफूलों का महकनाघनघोर घटाएँसरमस्त हवाएँमासूम उमंगेंउल्फ़त की तरंगेंवो गोपियों के साथहाथों में दिए हाथरक़्साँ हुआ ब्रिजनाथबंसी में जो लय हैनश्शा है न मय हैकुछ और ही शय हैइक रूह है रक़्साँइक कैफ़ है लर्ज़ांएक अक़्ल है मय-नोशइक होश है मदहोशइक ख़ंदा है सय्यालइक गिर्या है ख़ुश-हालइक इश्क़ है मग़रूरइक हुस्न है मजबूरइक सेहर है मसहूर
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दरबार में तन्हालाचार है कृष्णाआ श्याम इधर आसब अहल-ए-ख़ुसूमतहैं दर पए इज़्ज़तये राज दुलारेबुज़दिल हुए सारेपर्दा न हो ताराजबेकस की रहे लाजआ जा मेरे कालेभारत के उजालेदामन में छुपा लेवो हो गई अन-बनवो गर्म हुआ रनग़ालिब है दुर्योधनवो आ गए जगदीशवो मिट गई तशवीशअर्जुन को बुलायाउपदेश सुनायाग़म-ज़ाद का ग़म क्याउस्ताद का ग़म क्यालो हो गई तदबीरलो बन गई तक़दीरलो चल गई शमशीरसीरत है अदू-सोज़सूरत नज़र-अफ़रोज़दिल कैफ़ियत-अंदोज़ग़ुस्से में जो आ जाएबिजली ही गिरा जाएऔर लुत्फ़ पर आएतो घर भी लुटा जाए
परियों में है गुलफ़ामराधा के लिए श्यामबलराम का भय्यामथुरा का बसय्याबिंद्रा में कन्हैय्याबन हो गए वीराँबर्बाद गुलिस्ताँसखियाँ हैं परेशाँ

हफ़ीज़ जालंधरी की नज़्म ‘कृष्ण कन्हैया’

जमुना का किनारासुनसान है सारातूफ़ान हैं ख़ामोशमौजों में नहीं जोशलौ तुझ से लगी हैहसरत ही यही हैऐ हिन्द के राजाइक बार फिर आ जादुख दर्द मिटा जाअब्र और हवा सेबुलबुल की सदा सेफूलों की ज़िया सेजादू-असरी गुमशोरीदा-सरी गुमहाँ तेरी जुदाईमथुरा को न भाईतू आए तो शान आएतू आए तो जान आएआना न अकेलेहों साथ वो मेलेसखियों के झमेलेब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |Tags: Janmashtami, Lifestyle, Literature, Lord krishna, Religion, Sri Krishna JanmashtamiFIRST PUBLISHED : August 17, 2022, 10:50 IST



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