Uttar Pradesh

लखनऊ: PWD के पूर्व एचओडी मनोज गुप्ता को चार्जशीट… लेकिन उठ रहे कई सवाल



हाइलाइट्सPWD के पूर्व एचओडी मनोज गुप्ता को चार्जशीट देकर उनसे सवाल पूछे हैं.शासन स्तर पर तैनात अधिकारियों की भूमिका ज्यादा सवालों के घेरे में है.संकेत मिश्र
लखनऊ. तबादलों में गड़बड़ी पर PWD के पूर्व एचओडी मनोज गुप्ता को चार्जशीट दे दी गई है. लेकिन PWD में शासन स्तर पर तैनात किसी अधिकारी कर्मचारी को जांच के दायरे में ना लाने पर कई सवाल खड़े हो गए हैं. दरअसल PWD में शासन स्तर पर तैनात अफसरों की जिम्मेदारी किसी भी तरह के तबादलों के प्रस्ताव के परीक्षण की होती है. परीक्षण के बाद ही विभागीय मंत्री तक प्रस्ताव भेजे जाते हैं लेकिन यहां PWD में शासन स्तर और तत्कालीन एचओडी की मिलीभगत का खेल साफ जाहिर है क्योंकि जो पूर्व एचओडी ने प्रस्ताव भेजे PWD में शासन स्तर पर बैठे स्टाफ ने बिना परीक्षण के मंत्री कार्यालय भेज दिए.
ऐसे में इस पूरे तबादले के खेल के मास्टरमाइंड PWD में शासन स्तर पर बैठे किसी अफसर कर्मचारी पर जांच की आंच ना आना बड़े खेल की तरफ इशारा कर रही है. पीडब्ल्यूडी में हुए तबादलों के मामले में मनोज गुप्ता की भूमिका सवालों के घेरे में थी. जांच के दौरान इस बात का खुलासा हुआ कि मनोज गुप्ता ने 30 की बजाए 35 एक्सईएन का प्रस्ताव तैयार कर दिया.
मनाेज गुप्ता पर यह भी आरोप… एक जाति विशेष के इंजीनियर्स को दे दी प्राइम पोस्टिंगवहीं, दूसरी तरफ मनोज गुप्ता ने वर्षों से जमे इंजीनियर्स को हटाने का प्रस्ताव नहीं बनाया यानी कि तबादलों में भेदभाव किया. मनोज गुप्ता पर यह भी आरोप है कि एक जाति विशेष के इंजीनियर्स को प्राइम पोस्टिंग दे दी गई. तबादलों में बैकडेटिंग का भी आरोप मनोज गुप्ता पर है. एई और जेई की पोस्टिंग भी तय संख्या से काफी ज्यादा है. जांच अधिकारी के आगे तर्क दिया गया कि डेपुटेशन वाले इंजीनियर्स का समायोजन किया गया, तबादला नहीं यह तर्क नियमनुसार गलत है.
सवालों के घेरे में शासन स्तर की भूमिका पीडब्ल्यूडी में शासन स्तर पर तैनात अधिकारियों की भूमिका सबसे ज्यादा सवालों के घेरे में है. हैरानी की बात यह है कि जितने भी तबादले हुए परीक्षण की जिम्मेदारी पीडब्ल्यूडी के शासन स्तर पर तैनात अफसरों की थी, लेकिन शासन स्तर के अफसरों ने घोर लापरवाही की. यह आरोप भी लग रहा है प्रमुख सचिव कार्यालय में तैनात तमाम अफसरों की भूमिका की जांच अभी तक नहीं की गई. दरअसल, किसी भी तबादले के परीक्षण की जिम्मेदारी विभाग के शासन स्तर पर तैनात अफसरों की होती है लेकिन इस भूमिका का निर्वहन बिल्कुल भी नहीं किया गया.
जांच अधिकारी ने मनोज गुप्ता को चार्जशीट देकर पूछे सवालहालांकि इस पूरे मामले के जांच अधिकारी पी. गुरुप्रसाद ने PWD के पूर्व एचओडी मनोज गुप्ता को चार्जशीट देकर उनसे सवाल पूछे हैं. यह कुछ सवाल शासन स्तर के अफसरों पर भी बनते हैं जो पीडब्ल्यूडी विभाग में शासन स्तर पर तैनात हैं. PWD के तबादलों में भ्रष्टाचार का आलम यह है कि वर्षों से तैनात इंजीनियर्स को नहीं हटाया गया. शुरुआत उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से करें तो पीडब्ल्यूडी मुख्यालय में तैनात चीफ इंजीनियर राजेश मिश्रा, जेके बांगा, संजय श्रीवास्तव, एसी आरके सिन्हा, ओपी सिंह एक्सईएन शिव शंकर सिंह, डीडी सिंह, झांसी में तैनात नरेंद्र सिंह, आगरा में आरपी गिरी और आशीष श्रीवास्तव जो यहीं पर एई थे और उसी खंड में एक्सईएन बने बैठे हैं. अशीष की तैनाती को दस साल से ज्यादा हो गए लेकिन हटाए नहीं गए.
CM कार्यालय से जांच और वर्षों से जमे होने के बावजूद नहीं हटेअमरोहा के हालात और चौंकाने वाले हैं. यहां तैनात एक्सईएन कृष्ण वीर सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से हुई. आरोप था कि कृष्ण वीर कमीशन लेकर ही टेंडर करते हैं. सीएम कार्यालय से कृष्णवीर की जांच के आदेश हुए और कृष्ण वीर अमरोहा में 3 साल से प्रांतीय खंड में तैनात हैं. कृष्ण वीर को पूर्व में एचओडी मनोज गुप्ता दो खंडों का चार्ज दिए रहे जबकि मुख्यालय में कई एक्सईएन खाली बैठे हैं. तबादलों में भेदभाव किया. वहीं मनोज गुप्ता पर यह भी आरोप है कि एक जाति विशेष के इंजीनियर्स को प्राइम पोस्टिंग दे दी गई.ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |Tags: Lucknow news, Uttar pradesh newsFIRST PUBLISHED : August 09, 2022, 20:44 IST



Source link

You Missed

Karur stampede: Victim’s kin reports he is facing pressure from police and political circles, SC asks to approach CBI
Top StoriesOct 30, 2025

करूर में हुए भगदड़ में घायल व्यक्ति के परिवार ने पुलिस और राजनीतिक क्षेत्रों से दबाव की बात कही, सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को संपर्क करने के लिए कहा

नई दिल्ली: एक महत्वपूर्ण विकास के बाद, सर्वोच्च न्यायालय गुरुवार को करूर स्टैंपीड के शिकार परिवार के एक…

Scroll to Top